दिल्ली उच्च न्यायालय ने आसाराम बापू पर लिखी पुस्तक ‘गनिंग फॉर द गाडमैन: द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापूज कंविक्शन’ के प्रकाशन पर एकतरफा रोक लगाने का आदेश आज रद्द कर दिया।
न्यायमूति नजमी वजीरी की एकल पीठ ने आसाराम बापू बलात्कार मामले में सह-मुजरिम संचिता के वाद पर जिला अदालत द्वारा एकतरफा रोक लगाने के आदेश के खिलाफ प्रकाश हार्पर कोलिन्स की अपील यह आदेश सुनाया।
न्यायालय ने निर्देश दिया कि इस पुस्तक की अब तक मुद्रित हो चुकीं प्रतियां इस स्पष्टीकरण के साथ बेची जा सकती हैं कि यह निचली अदालत के फैसले पर आधारित है और इसके खिलाफ अपील लंबित है।
न्यायालय ने कहा कि ऑनलाइन बिक्री के लिये इलेक्ट्रानिक तरीके से अस्वीकरण देना चाहिए।
हार्पर कोलिन्स ने पुस्तक के प्रकाश पर लगी रोक हटवाने के लिये दलील दी थी कि प्रकाशन से पहले सेन्सरशिप बहुत सावधानी से करनी चाहि और मौजूदा मामले में ऐसा करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
हार्पर कोलिनस ने न्यायालय को सूचित किया कि कथित मानहानिकारक सामग्री पूरी तरह से निचली अदालत के रिकार्ड और फैसले पर आधारित है।
यह भी दलील दी गयी कि सह मुजरिम संचिता ने पुस्तक के प्रकाशन पर रोक के लिये अंतिम क्षणों तक दुर्भावना के साथ इंतजार किया जब पुस्तक के लोकार्पण के संबंध में जुलाई में सार्वजनिक घोषणा की गयी।
संचिता का तर्क था कि संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के साथ उसके सम्मान तथा मुकदमे की निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार के बीच संतुलन बनाना होगा।
दोषसिद्धि के खिलाफ अपील लंबित होने की दलील देते हुये दावा किया गया था कि अभी सुनवाई का सिलसिला जारी है और अगर अभी पुस्तक के प्रकाशन की अनुमति दी गयी तो इससे अपूर्णीय क्षति हो जायेगी।
पुस्तक ‘गनिंग फॉर द गाडमैन: द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापूज कंविक्शन’ के लेखक जयपुर के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अजय लांबा और संजीव माथुर हैं और इस पुस्तक का प्रकाशन पांच सितंबर, 2020 को होना था।
अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की अदालत ने इस पुस्तक के प्रकाशन पर इस आधार पर रोक लगा दी थी कि बलात्कार के इस मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ अपील राजस्थान उच्च न्यायालय में लंबित है।
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[Breaking] Delhi HC sets aside stay on publication of book on Asaram Bapu conviction