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ट्रांसजेंडर को पासपोर्ट फिर से जारी करने के लिए लिंग परिवर्तन प्रमाण पत्र की मांग को चुनौती के संबंध मे दिल्ली HC मे याचिका

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को पासपोर्ट नियम, 1980 को चुनौती देने वाली एक याचिका पर केंद्र सरकार से इस हद तक जवाब मांगा कि एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति को महिला के रूप में अपना पासपोर्ट फिर से जारी कराने के लिए अस्पताल से लिंग परिवर्तन प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है। (लस्या कहली सिंह बनाम यूओआई)

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ द्वारा केंद्र सरकार को नोटिस जारी किए गए थे।

याचिकाकर्ता, लस्या कहली सिंह ने दिसंबर 2019 में अपना नाम और अपना लिंग पुरुष से महिला में बदल दिया था।

इसके बाद याचिकाकर्ता अपना आधार कार्ड, पैन कार्ड और वोटर आईडी अपने नाम और लिंग में आवश्यक परिवर्तनों के साथ फिर से जारी कराने में सक्षम थी।

तथापि, याचिकाकर्ता को संबंधित क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय द्वारा कहा गया था कि वह पासपोर्ट नियम, 1980 की तालिका 3 में क्रमांक 39 में प्रवेश के संदर्भ में महिला के रूप में अपना पासपोर्ट फिर से जारी करने के लिए एक सर्जन द्वारा हाथ में एक लिंग परिवर्तन प्रमाण पत्र प्रस्तुत करे।

याचिकाकर्ता को सूचित किया गया था कि उसका पुराना पासपोर्ट रद्द कर दिया गया था और नए पासपोर्ट को प्रमाण पत्र के अभाव में रोक दिया गया था।

याचिकाकर्ता की चिंता यह थी कि वह बिना पासपोर्ट के लिंग पुनर्निर्धारण सर्जरी के लिए बैंकॉक, थाईलैंड की यात्रा नहीं कर पाएगी।

याचिकाकर्ता ने कहा कि उसकी लिंग पुनर्मूल्यांकन सर्जरी के संबंध में कोई दस्तावेज मांगना भी ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 और ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 का उल्लंघन होगा।

याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि किसी व्यक्ति के लिए अपने लिंग / लिंग को पहचानने या बदलने के लिए सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी पर जोर देना अनावश्यक है।

याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता सिद्धार्थ सेम, ओइंड्रिला सेन ने किया।

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Plea in Delhi High Court challenges requirement of sex change certificate for re-issuance of passport to transgender persons