दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को वैवाहिक बलात्कार के अपराधीकरण की मांग वाली याचिकाओं के एक बैच पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। [आरआईटी फाउंडेशन बनाम भारत संघ]।
न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आज दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि इस मुद्दे पर केंद्र राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श के बाद ही कोई स्टैंड ले सकता है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि चूंकि इस मामले के व्यापक परिणाम के साथ सामाजिक और पारिवारिक जीवन पर प्रभाव पड़ सकता है, केंद्र परामर्श प्रक्रिया के बाद ही अपना पक्ष रखेगा।
उन्होंने कहा “आमतौर पर, जब एक विधायी अधिनियम को चुनौती दी जाती है, तो हमने एक स्टैंड लिया। लेकिन वे वाणिज्यिक या कराधान कानून हैं। ऐसे बहुत कम मामले होते हैं जब इस तरह के व्यापक परिणाम मिलते हैं... इसलिए हमारा स्टैंड है कि हम परामर्श के बाद ही अपना पक्ष रख पाएंगे।
Delhi High Court, Marital Rape
हालाँकि, डिवीजन बेंच ने कहा कि चल रहे मामले में डिफरेंस संभव नहीं था क्योंकि कोई अंतिम तिथि नहीं थी।
सहायक सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा को सोमवार तक केंद्र का रुख स्पष्ट करने के लिए कहा गया था, जिसके बाद अदालत फैसला करेगी कि सरकार को अपने मामले पर बहस करने या व्यापक परामर्शी दृष्टिकोण लेने के लिए कितना समय देना होगा।
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[BREAKING] Delhi High Court reserves judgment in petitions seeking criminalisation of marital rape