Agnipath scheme with Delhi High Court 
वादकरण

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अग्निपथ योजना की वैधता बरकरार रखी; कहा कि राष्ट्रीय हित में योजना शुरू की गई है

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने केंद्र सरकार की योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह को खारिज कर दिया।

Bar & Bench

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को भारतीय सशस्त्र बलों में प्रवेश के लिए अग्निपथ योजना की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि योजना को राष्ट्रीय हित में पेश किया गया था और केंद्र सरकार की योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह को खारिज कर दिया।

अदालत ने कहा, "इस अदालत को योजना में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिला। सभी याचिकाएं खारिज की जाती हैं। हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि यह योजना राष्ट्रीय हित में शुरू की गई थी।"

कोर्ट ने भर्ती प्रक्रियाओं पर रोक को चुनौती देने वाली याचिकाओं को भी खारिज कर दिया।

पीठ ने कहा, "भर्ती के लिए विज्ञापनों द्वारा कोई वचनबद्धता या वैध अपेक्षा नहीं बनाई गई थी।"

कोर्ट ने इस मामले में 15 दिसंबर 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

विस्तृत निर्णय की प्रतीक्षा है।

अग्निपथ योजना को सशस्त्र बलों में सबसे दूरगामी सुधारों में से एक माना जाता है और इसकी शुरूआत से देश के कई हिस्सों में भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना में शामिल होने की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों द्वारा विरोध किया गया था।

इस योजना में चार साल की अवधि के लिए युवाओं को अस्थायी रूप से रक्षा बलों में शामिल करने का प्रस्ताव है। ऐसे युवा अग्निवीर के नाम से जाने जाएंगे।

इस अवधि के बाद, चयनित उम्मीदवारों में से केवल 25 प्रतिशत को ही सशस्त्र बलों की नियमित सेवा में समाहित करने की अनुमति दी जाएगी, जबकि शेष सेवानिवृत्त हो जाएंगे।

अग्निवीर के रूप में सेवा की अवधि को भारतीय सेना, नौसेना या वायु सेना में शामिल होने पर नियमित सेवा के रूप में नहीं गिना जाएगा।

यानी चार साल पूरे होने के बाद जब कोई अग्निवीर सशस्त्र बलों में शामिल होता है, तो उसे नई भर्ती माना जाएगा।

योजना को चुनौती देने के साथ-साथ भर्ती प्रक्रियाओं पर रोक लगाने के लिए देशभर के उच्च न्यायालयों में कई याचिकाएँ दायर की गईं, जिनके लिए अग्निपथ की घोषणा से पहले आवेदन आमंत्रित किए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने बाद में इन सभी मामलों को दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया।

दलीलों के दौरान, दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया गया कि अग्निपथ योजना जून 2021 में ही सामने आई थी और तभी अन्य सभी भर्ती प्रक्रियाओं को रोकने का निर्णय लिया गया था।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी केंद्र सरकार के लिए उपस्थित हुईं और कहा कि योजना को जून 2022 में ही अंतिम रूप दिया गया था, जब इसे आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचित किया गया था।

उन्होंने आगे कहा कि अग्निपथ रक्षा भर्ती में सबसे बड़े नीतिगत परिवर्तनों में से एक है, और सशस्त्र बलों में कर्मियों की भर्ती के तरीके में आमूलचूल परिवर्तन करने जा रहा है।

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Delhi High Court upholds validity of Agnipath Scheme; says scheme introduced in national interest