दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को पिंजरा तोड़ कार्यकर्ता देवांगना कलिता की उस दिल्ली दंगों के मामले की केस डायरियों के पुनर्निर्माण की प्रार्थना को खारिज कर दिया जिसमें वह आरोपी हैं [देवांगना कलिता बनाम दिल्ली राज्य एनसीटी]।
न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा ने यह फैसला सुनाया, जिसमें न्यायालय ने पुलिस को केस डायरियाँ सुरक्षित रखने के निर्देश देने वाले पूर्व के अंतरिम आदेश की भी पुष्टि की।
न्यायालय ने कहा, "याचिका आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जहाँ तक संरक्षण के अनुरोध का संबंध है, अंतरिम आदेश स्थायी है। पुलिस डायरी के पुनर्निर्माण का अनुरोध अस्वीकार किया जाता है।"
कलिता ने एक याचिका दायर कर अदालत से इन केस डायरियों को सुरक्षित रखने और उनका पुनर्निर्माण करने का निर्देश देने का आग्रह किया था। इस आशंका के साथ कि दिल्ली पुलिस ने इनमें छेड़छाड़ की है, कलिता ने यह याचिका दायर की थी।
उन्होंने पुलिस पर केस डायरियों में गवाहों के बयानों को पहले से दर्ज करने का आरोप लगाया था। ये केस डायरियों नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में 2020 में हुए प्रदर्शनों और जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास सड़क जाम करने के मामले में दर्ज आपराधिक मामले से संबंधित हैं।
एक निचली अदालत ने पहले केस डायरियों को सुरक्षित रखने की कलिता की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 161 के तहत दर्ज गवाहों के बयान साक्ष्य का एक ठोस हिस्सा भी नहीं हैं।
निचली अदालत ने 6 नवंबर, 2024 को पारित आदेश में कहा था, "हालांकि आरोपियों के वकील की दलीलों में दम हो सकता है, लेकिन इस समय यह अदालत आरोपों की सत्यता और सच्चाई पर विचार नहीं कर सकती।"
कलिता ने इसे दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
दिसंबर 2024 में न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने मामले में एक अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें पुलिस को केस डायरी सुरक्षित रखने का निर्देश दिया गया।
इस अंतरिम आदेश की आज पुष्टि हो गई है। हालाँकि, केस डायरियों के पुनर्निर्माण की कलिता की याचिका खारिज कर दी गई है।
कलिता की ओर से अधिवक्ता आदित एस. पुजारी, वान्या छाबड़ा और सिद्धार्थ कौशल उपस्थित हुए।
राज्य की ओर से विशेष लोक अभियोजक अनुज हांडा, अधिवक्ता सान्या हांडा, शुभम पांडे और आकांक्षा चंडोक उपस्थित हुए।
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Delhi riots: Delhi High Court rejects plea by Devangana Kalita to reconstruct case diaries