कोविड-19 महामारी के मद्देनजर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा है कि प्रदेश में खान-पान की दुकानों के कामकाज को नियंत्रित करे। न्यायालय ने कहा कि सिर्फ स्पष्ट अंडरटेकिंग देने वाले उन्हीं होटल, रेस्तरां और छोटे छोटे खान-पान के प्रतिष्ठानों को ही चालू रखने की अनुमति दी जानी चाहिए।
न्यायालय ने कहा कि अंडरटेकिंग के साथ काम करने की अनिवार्यता स्थाई नहीं होगी और यह इस आदेश की तारीख से छह सप्ताह तक प्रभावी रहेगी। निम्न दिशा निर्देश जारी किये गये हैं:
अगर कोई रेस्तरां लोगों को अंदर बैठकर खाने की अनुमति देता है तो उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि सामाजिक दूरी बनी रहे
किसी भी खान-पान स्थल को ग्राहकों को अपने परिसर के आसपास घूमने और खुले में खान की अनुमति नहीं देगा।
प्रत्येक खान-पान स्थल के पांच गज के दायरे में कोई भी ग्राहक बगैर मास्क के नजर नहीं आना चाहिए।
किसी भी व्यक्ति को खान-पान स्थल के पास इस्तेमाल की गयी प्लेट, चम्मच या गिलास फेंकने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
अगर किसी ग्राहक या व्यक्ति को बगैर मास्क के या फिर खान-पान स्थल के पांच गज के दायर के भीतर खाते नजर आया तो निश्चित ही उसके खिलाफ उचित कार्रवाई होगी।
सड़क किनारे स्थित खान-पान स्थल या ओपन एयर रेस्तरां पीने का पानी नहीं बेचेंगे।
यहां तक संभव हो प्रतिदिन पांच हजार रूपए का कारोबार करने वाले प्रत्येक खान-पान स्थल को अपने यहां सीसीटीवी कैमरे लगाने लगाने चाहिए।
सभी खान-पान स्थल यह व्यवस्था करेंगे कि उनके यहां से बेची गयी खाद्य सामग्री अच्छी तरह से पैक की जाये या डिब्बे इस तरह से सील किये जायें ताकि उन्हें ग्राहक उसे बाहर निकलते ही आसानी से नहीं खोल पाये और ग्राहक को इसे सिर्फ अपने आवास पर ही खोलना चाहिए।
अगर कोई ग्राहक दुव्यर्वहार करता है और दुकान मालिक की नहीं सुनता है तो ऐसे मालिक पुलिस को इसकी जानकारी देने के लिये स्वतंत्र होंगे जो कार्रवाई करेगी।
इन अंडरटेकिंग का उल्लंघन होने पर उक्त खान-पान स्थल के मालिक के खिलाफ पुलिस प्रशासन कार्रवाई करेगा।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की पीठ ने ऐसे रेस्तरां और खान-पान स्थलों के खिलाफ तत्परता से कार्रवाई करने के लिये राज्य सरकार और पुलिस की सराहना की जिनमे लोग भारत सरकार और राज्य सरकार महामारी बीमारी कोविड-19 नियम, 2020 के दिशा निर्देशों का उल्लंघन कर रहे थे।
‘‘ हम राज्य में कोविड-19 के दिशानिर्देशों को लागू करने में विभिन्न जिलों के जिला और पुलिस प्रशासन के कदमों की सराहना करते हैं लेकिन हम महसूस करते हैं कि अभी लगतार सतर्क रहने की जरूरत है।’’इलाहाबाद उच्च न्यायालय
उच्च न्यायालय ने मास्क के बगैर परिसर में किसी भी कर्मचारी को प्रवेश की अनुमति नहीं होने संबंधी कतिपय दिशा निर्देश के बारे में दैनिक समाचार पत्रों में प्रयागराज नगर निगम की अधिसूचना का संज्ञान लिया था।
न्यायालय ने कहा, ‘‘वह अधिसूचना में ‘‘नो मास्क-नो एंट्री’’ भी जोड़ना चाहेंगे। किसी बाहरी व्यक्ति को भी प्रवेश नहीं दिया जायेगा अगर वह ठीक से मास्क नहीं पहने हैं। दूसरे सरकारी विभागों की ओर से राज्य के सभी जिलों के विभिन्न दैनिक समाचार पत्रों में इस बारे में अधिसूचना और प्रकाशित की जानी चाहिए।’’
न्यायालय ने मास्क और सैनीटाइजर्स के उत्पादन के बारे में राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा जारी निर्देशों के अनुरूप दिशा निर्देश तैयार करके जारी किये जायें।
इस मामले में न्यायालय अब 7 अक्टूबर, 2020 को अपराह्न दो बजे विचार करेगा।
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