Delhi High Court, Engineer Rashid  
वादकरण

इंजीनियर राशिद ने सुप्रीम कोर्ट के स्पष्टीकरण के बाद दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत याचिका के शीघ्र निपटारे की याचिका वापस ली

राशिद वर्तमान में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आतंकी फंडिंग मामले में आरोपी के तौर पर जेल में है। उसे 2019 में गिरफ्तार किया गया था।

Bar & Bench

बारामुल्ला के सांसद और आतंकवाद-वित्तपोषण के आरोपी अब्दुल रशीद शेख, जिन्हें इंजीनियर रशीद के नाम से भी जाना जाता है, ने आज दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष दायर अपनी याचिका वापस ले ली, जिसमें उन्होंने अपनी जमानत याचिका पर निर्णय लेने में हो रही देरी को लेकर सवाल उठाया था। उन्होंने यह देरी इस बात को लेकर की थी कि किस निचली अदालत को जमानत याचिका पर सुनवाई करनी चाहिए।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह स्पष्ट किए जाने के बाद कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा जांचे गए मामलों की सुनवाई करने वाली अदालत ही राशिद की याचिका पर सुनवाई कर सकती है, राशिद ने याचिका वापस ले ली।

इससे पहले, इस बात को लेकर कुछ भ्रम था कि राशिद की याचिका पर सुनवाई के लिए उपयुक्त अदालत सांसदों और विधायकों/विधायकों से संबंधित मामलों की सुनवाई करने वाली अदालत है या नहीं।

इस भ्रम के कारण होने वाली देरी से व्यथित होकर राशिद ने अपनी जमानत याचिका के शीघ्र समाधान के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया था।

न्यायमूर्ति विकास महाजन ने सोमवार को राशिद को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी किए गए स्पष्टीकरण के आलोक में यह याचिका वापस लेने की अनुमति दी कि एनआईए अदालत उनके खिलाफ मुकदमा जारी रख सकती है।

न्यायालय ने आज कहा, "याचिका वापस लिए जाने के कारण खारिज की जाती है।"

न्यायालय ने निचली अदालत से राशिद की जमानत याचिका का यथासंभव शीघ्र निपटारा करने का अनुरोध किया।

Justice Vikas Mahajan

राशिद वर्तमान में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आतंकी फंडिंग मामले में आरोपी के तौर पर जेल में है। उसे 2019 में गिरफ्तार किया गया था।

उसने जमानत के लिए एनआईए कोर्ट का रुख किया था। एनआईए कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई की और आदेश सुरक्षित रख लिया, लेकिन यह कहते हुए मामले को छोड़ दिया कि केवल एक नामित एमपी/एमएलए कोर्ट ही एमपी के मामले की सुनवाई कर सकता है।

यह तब हुआ जब राशिद ने जम्मू-कश्मीर के मौजूदा मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को दो लाख से ज़्यादा वोटों से हराकर बारामुल्ला लोकसभा सीट जीती थी।

इससे यह भ्रम पैदा हो गया कि कौन सी कोर्ट उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी- एनआईए कोर्ट या एमपी/एमएलए कोर्ट।

राशिद ने हाईकोर्ट को बताया कि एनआईए कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया (क्योंकि यह नामित एमपी/एमएलए कोर्ट नहीं था), इसलिए उसके पास कोई उपाय नहीं बचा।

इसलिए, दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ने सुप्रीम कोर्ट से इस पहलू पर स्पष्टीकरण मांगा। 10 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्पेशल एनआईए कोर्ट राशिद की याचिका पर सुनवाई जारी रख सकती है।

हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार का प्रतिनिधित्व करते हुए अधिवक्ता कन्हैया सिंघल ने कहा कि इस स्पष्टीकरण के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने भी 17 फरवरी को प्रशासनिक पक्ष से एक आदेश पारित किया, जिसमें निर्देश दिया गया कि राशिद के मामले की सुनवाई पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश द्वारा की जानी चाहिए।

इन घटनाक्रमों को देखते हुए राशिद ने अपनी याचिका वापस लेने का विकल्प चुना। तदनुसार, याचिका को वापस ले लिया गया मानते हुए खारिज कर दिया गया।

वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन राशिद की ओर से पेश हुए। एनआईए की ओर से विशेष लोक अभियोजक अक्षय मलिक पेश हुए।

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Engineer Rashid withdraws plea for prompt disposal of bail plea from Delhi High Court after SC clarification