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Delhi Police

 
वादकरण

अपनो की मौत मे भी पुलिस संवेदनहीन: दिल्ली कोर्ट ने पुलिसकर्मी की मौत के मामले में FIR दर्ज के आदेश को रद्द करने से किया इनकार

Bar & Bench

अगर एक पुलिस वाले की मौत, जिसकी एक सुनसान जगह पर गोली लगने से मौत हो गई और जिसकी पत्नी कुछ लोगों पर नाम लेकर गाली-गलौज कर रही है, एफआईआर दर्ज करने की भी जरूरत नहीं है, तो आश्चर्य होता है कि क्या होता है?

यह अवलोकन दिल्ली की एक अदालत से आया जिसने पुलिस को अपने ही एक की संदिग्ध मौत पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने वाले आदेश को बरकरार रखा। [सीमा मीणा और अन्य बनाम राज्य और अन्य]।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मोनिका सरोहा ने मामले में पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने वाले मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ दायर एक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि ललिता कुमारी बनाम यूपी राज्य और अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अक्षरश: सम्मान किया जाना चाहिए। यह भी नोट किया,

"इस प्रकार, वर्तमान तथ्यों में, एक ओर, मृतक की विधवा उसी विभाग का दरवाजा खटखटा रही है, जिसमें उसका पति सेवा कर रहा था, कम से कम अपने पति की अप्राकृतिक मृत्यु पर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग कर रही है और दूसरी ओर पुलिस एक की मौत होने पर भी विभाग समय पर प्राथमिकी दर्ज करने से इंकार कर ढुलमुल, असंवेदनशील और अवैध तरीके से काम कर रहा है।"

[आदेश पढ़ें]

Seema_Meena___Anr_v__State___Anr.pdf
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Even in death of one of its own, police insensitive: Delhi Court refuses to set aside order directing FIR into cop's death