बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को गोविन्द पानसरे हत्याकांड में अभियुक्त द्वारा दायर याचिका पर इस मामले में जांच और मुकदमे की निगरानी जारी रखने के लिए उच्च न्यायालय के खिलाफ दायर याचिका पर प्रतिकूल विचार किया।
जस्टिस एएस गडकरी और पीडी नाइक की खंडपीठ ने कहा कि आरोपी स्पीडी ट्रायल की मांग कर सकते हैं, लेकिन इस मामले में आगे की जांच या मुकदमे में उनका कोई कहना नहीं हो सकता है।
कोर्ट ने कहा "जब आगे की जांच की बात आती है तो आरोपी के अधिकारों में अंतर होता है। हमने ट्रायल पर रोक नहीं लगाई है, ट्रायल चल रहा है। जहां तक आगे की जांच का संबंध है, आपका कोई कहना नहीं है। चार्जशीट दाखिल करने के बाद, आपको एक अभियुक्त के रूप में पेश किया गया है। शीघ्र सुनवाई के लिए पूछने का आपका अधिकार मामले की आगे की जांच में अपनी बात रखने के अधिकार से अलग है। आज तक, तुम्हारे साथ कुछ भी प्रतिकूल नहीं हुआ है सिवाय इसके कि तुम मुकदमे का सामना कर रहे हो।"
आरोपी ने उच्च न्यायालय द्वारा जांच और मुकदमे की निगरानी का विरोध करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उनका तर्क था कि इससे सुनवाई में देरी हो रही है।
हालांकि कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया।
अभियुक्तों की ओर से पेश अधिवक्ता सुभाष झा ने कहा कि मामले की निगरानी करते हुए उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेशों के कारण 7 साल से अधिक समय से सुनवाई रुकी हुई है, इसलिए उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
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