उत्तर प्रदेश सरकार ने हाथरस भगदड़ की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है जिसमें 120 से अधिक लोग मारे गए थे।
आयोग की अध्यक्षता इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति बृजेश कुमार श्रीवास्तव (द्वितीय) करेंगे और इसमें आईएएस अधिकारी हेमंत राव तथा सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी भावेश कुमार भी सदस्य होंगे।
हाथरस में भगदड़ की घटना कथित तौर पर नारायण साकर हरि उर्फ 'भोले बाबा' नामक स्वयंभू संत से मिलने के लिए आयोजित सत्संग में हुई थी, जिन्हें पहले सूरज पाल के नाम से जाना जाता था।
रिपोर्ट के अनुसार, इस कार्यक्रम में दो लाख से अधिक श्रद्धालु जुटे थे, हालांकि केवल 80,000 लोगों के शामिल होने की अनुमति दी गई थी।
इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने कार्यक्रम के आयोजकों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया है।
सरकार द्वारा जारी निर्देश के अनुसार, आयोग को दो महीने के भीतर जांच पूरी करने का काम सौंपा गया है और वह मामले के विभिन्न पहलुओं पर गौर करेगा, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- क्या यह घटना एक दुर्घटना है या साजिश है या किसी अन्य योजनाबद्ध आपराधिक घटना की संभावना है; और
- क्या जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा भीड़ को नियंत्रित करने के लिए किए गए इंतजाम पर्याप्त थे या नहीं।
यह भी जांच की जाएगी कि आयोजकों ने उन शर्तों का अनुपालन किया था या नहीं, जिनके अधीन जिला प्रशासन ने कार्यक्रम के लिए अनुमति दी थी।
इसके अलावा, आयोग भविष्य में ऐसी किसी भी घटना से बचने के लिए निवारक उपायों की सिफारिश करेगा।
इस मुद्दे पर 3 जुलाई को इलाहाबाद उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में दो जनहित याचिकाएं (पीआईएल) दायर की गईं।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका में घटना की जांच के लिए सेवानिवृत्त सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की देखरेख में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति के गठन की मांग की गई है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच और एक स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की गई है।
[यूपी सरकार का आदेश पढ़ें]
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Hathras stampede: UP Government orders probe by 3-member judicial commission