वादकरण

अंतर-धार्मिक विवाह वाले दंपत्ति को उत्तरांखडHC ने संरक्षण प्रदान किया,विवाह से पहले मुस्लिम युवती ने हिन्दू धर्म स्वीकार किया

युवती के भाइयों द्वारा उन्हें शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाये जाने की आशंका में इस दंपत्ति ने न्यायालय की शरण ली

Bar & Bench

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हाल ही में अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले एक दंपति को समुचित संरक्षण प्रदान करने आदेश दिया। इस मामले में विवाह से पूर्व मुस्लिम युवती ने हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया था।

इस दंपत्ति ने अपनी सुरक्षा के लिये उच्च न्यायालय से गुहार लगाई थी क्योंकि उसे आशंका थी कि युवती के भाई उन्हें शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं।

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैथानी की पीठ ने स्पष्ट किया कि वे इस विवाह या युवती द्वारा पहले मुस्लिम से हिन्दू धर्म स्वीकार करने के बारे में कोई टिप्पणी नही कर रही है क्योंकि ‘‘पहली नजर में यह उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता कानून, 2018 का उल्लंघन है।’’

यह कानून जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ है और इसमें प्रावधान है कि सिर्फ धर्म परिर्तवन के लिये किये गये विवाह अमान्य हैं। इस कानून की धारा 8 के तहत संबंधित जिलाधिकारी को एक महीने का नोटिस दिये बगैर धर्म परिवर्तन करना दंडनीय है।

इस मामले में न्यायालय ने कहा कि जिलाधिकारी से पहले कोई अनुमति नहीं ली गयी थी। हालांकि, याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उन्होंने इस कानून की धारा 8 के अनुरूप आवेदन किया था लेकिन इस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

पति-पत्नी से बातचीत में न्यायालय ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि दोनों सुस्पष्ट लगते हैं और दोनों ने युवती के परिवार से संभावित खतरे के बारे में न्यायालय को अवगत कराया।

न्यायालय ने अपने आदेश में सबसे पहले हरिद्वार के जिलाधिकारी को यह जांच करने का निर्देश दिया कि धर्म परिवर्तन के लिये युवती के आवेदन पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गयी। अगर इसमें कोई कार्यवाही की गयी है तो न्यायालय को सूचित किया जाये कि ऐसा कब किया गया।

न्यायालय ने इसके साथ ही न्याय के हित में और लता सिंह बनाम उप्र और एस खुशबू बनाम कन्निअम्मल प्रकरणों में उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था को ध्यान में रखते हुये पुलिस को अंतरिम उपाय के रूप में इस दंपत्ति को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया।

इस मामले में न्यायालय अब मार्च, 2021 में आगे विचार करेगा।

इसी से संबंधित घटनाक्रम में उच्चतम न्यायालय में हाल ही में उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता कानून और उत्तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म परिवर्तन निषेध अध्यादेश, 2020 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गयी है।यह मामला इस समय शीर्ष अदालत में लंबित है।

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Woman converts from Islam to Hinduism for marriage to Hindu man; Uttarakhand High Court grants couple protection