बंबई उच्च न्यायालय ने भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी कवि और एक्टिविस्ट डा. वरावरा राव की बिगड़ती सेहत के मद्देनजर उन्हें जांच और इलाज के लिये तत्काल तलोजा जेल से नानावती अस्पताल स्थानांतरित करने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति एसएस शिन्दे और न्यायमूर्ति माधव जामदार की पीठ ने राज्य के गृह मंत्री से मिले निर्देश के आधार पर लोक अभियोजक दीपक ठाकरे का बयान दर्ज करने के बाद इस बारे में आदेश पारित किया। गृह मंत्री ने कहा था कि राव को विशेष मामले के रूप में नानावटी अस्पताल स्थानांतरित किया जा सकता है लेकिन यह परंपरा नहीं होगी।
उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी की, ‘‘उनकी जांच होने दी जाये और हम दो सप्ताह बाद देखेंगे।’’
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि राव को जांच और इलाज के लिये तत्काल नानावटी अस्पताल में स्थानांतरित किया जाये। अस्पताल में राव के इलाज का खर्च सरकार वहन करेगी। अदालत को सूचित किये बगैर राव को अस्पताल से छुट्टी नहीं दी जा सकती और निर्धारित मानदंडों का पालन करते हुये उनके परिवार को मुलाकात की अनुमति दी जाती है।
पीठ ने राव की पत्नी पी हेमलता की ओर वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह की विस्तार से दलीलें सुनने के बाद यह आदेश पारित किया। हेमलता ने अपने पति की बिगड़ती सेहत के आधार पर उनकी जमानत पर रिहाई के लिये याचिका दायर की थी।
जयसिंह ने आज अपनी दलीलें सिर्फ राव को जेल अस्पताल से नानावटी अस्पताल में जांच और इलाज के लिये स्थानांतरित करने के लिये अंतरिम राहत तक सीमित रखीं। भीमा कोरेगांव मामले के संबंध में राव को 2018 में गिरफ्तार किया गया था और इस समय वह तलोजा जेल में बंद हैं।
जयसिंह ने अंतरिम राहत के मुद्दे पर बहस करते हुये आज दलील दी, ‘‘एक व्यक्ति को हिरासत में रखने का मकसद यह होता है कि वह न्याय से भागे नहीं। वह जेल में बिस्तर पर ही हैं।’’
उन्होंने राव को तलोजा जेल के अस्पताल से नानावटी अस्पताल स्थानांतरित करने पर जोर देते हुये कहा कि राव के स्वास्थ की स्थिति को देखते हुये उनके इलाज के लिये जेल अस्पताल में समुचित सुविधायें नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा अस्पताल उनकी सेहत की निगरानी कैसे कर सकता है जिसके पास प्रयोगशाला तक नहीं है? विशेषज्ञों की तो बात ही छोड़िये।’’
जयसिंह ने कहा,
‘‘उन्हें एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल स्थानांतरित किया गया है और इस समय मई महीने से वह जेल के अस्तपला में है। उनका कैथेटर बदलानही गया है क्योंकि जेल के पास इसकी सुविधा नहीं है। यह विशेषज्ञ का काम है। वह डायपर पहनते हैं। कैथेटर 24 घटे लगा रहता है।’’
सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय जांच एजेन्सी की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल अनिल सिंह ने इस तथ्य को इंगित किया कि पहले न्यायालय ने राव का वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मेडिकल परीक्षण का आदेश दिया था। भीमा कोरेगांव मामले की जांच एनआईए कर रही है।
सिंह ने कहा, ‘‘पहले का आदेश कहता है: अगर जरूरत हो, वास्तविक परीक्षण किया जा सकता है।’’
इस पर जयसिंह ने सवाल किया,‘‘अगर उनकी मृत्यु हो गयी तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?’’
न्यायालय को यह भी सूचित किया गया कि भीमा कोरेगांव मामला अभी निचली अदालत में अभियोग निर्धारित किये जाने के चरण में है। एएसजी सिंह ने वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर के साथ आगे कहा कि इस मामले में 60 गवाह है और 30 आरोपी हैं।
जयसिंह ने दलील दी, ‘‘अगर उनकी मृत्यु हो जाती है तो यह आपके लिये लाभकारी नही है। लेकिन अगर वह बरी हो गये? इसकी हम क्या कीमत चुकाते हैं?’’
राव का स्वास्थ चिंताजनक होने पर जोर देते हुये उन्होंने कहा,
‘‘उनका मस्तिष्क ठीक से काम नही कर रहा है, उनके गुर्दो ने काम करना बंद कर दिया है, उनकी गंभीर हालत साबित करने के लिये हमें और क्या पेश करना होगा? हमारे पास आपको दिखाने के लिये क्लीनिकल रिपोर्ट नहीं है। मैं रिपोर्ट से यह साबित कर सकती हूं कि उनके गुर्दो ने काम करना बंद कर दिया है, उनका लीवर काम नहीं कर रहा , दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा है। यह व्यक्ति अपने आप खड़ा भी नही हो सकता।’’
जयसिंह ने कहा कि उन्हें क्रूरता के साथ हिरासत में रखा गया है। मृत्यु निश्चित है। लेकिन हर व्यक्ति इस संसार से गरिमा के साथ विदा होना चाहता है।
एएसजी अनिल सिंह और मुख्य लोक अभियोजक दीपक ठाकरे दोनों ने ही न्यायालय को सुझाव दिया कि राव को नानावटी की बजाये जेजे अस्पताल स्थानांतरित किया जा सकता है क्योंकि जेजे अस्पताल सरकारी है।
लेकिन न्यायालय ने ठाकरे द्वारा विशेष मामले में रूप में इसकी अनुमति के बारे में निर्देश प्राप्त करने के बाद राव को नानावटी अस्पताल में स्थानांतरित करने की अनुमति दे दी।
न्यायालय ने कहा कि यह कहने की जरूरत नहीं है कि इसका खर्च सरकार ही वहन करेगी।
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