केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को संसद में खुलासा किया कि देश में न्यायिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) को 9,000 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन के साथ 2025-26 तक बढ़ा दिया गया है।
कानून मंत्री ने राज्यसभा में उठाए गए एक संसदीय प्रश्न के जवाब में कहा कि कोर्ट हॉल और आवासीय क्वार्टर के निर्माण के अलावा, इस योजना में अब जिला और अधीनस्थ अदालतों में वकीलों के हॉल, डिजिटल कंप्यूटर रूम और शौचालय परिसरों का निर्माण भी शामिल है।
यह उत्तर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सांसद प्रमोद तिवारी और दिग्विजय सिंह द्वारा उठाए गए निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर में आया:
(क) क्या सरकार को देश में, विशेषकर निचली अदालतों में, न्यायिक ढांचे की भारी कमी की जानकारी है;
(ख) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं;
(ग) क्या न्यायिक अवसंरचना के भीतर विकलांग नागरिकों की पहुंच में सुधार के लिए प्रयास किए गए हैं; और
(घ) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं?
कानून मंत्री ने आगे खुलासा किया,
"इस योजना के प्रारंभ से अब तक 9291.79 करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है, जिसमें से 2014-15 से अब तक 5847.48 करोड़ रुपये (62.93%) जारी किए जा चुके हैं।"
प्रतिक्रिया में यह भी कहा गया है कि 24,982 न्यायाधीशों की स्वीकृत शक्ति और 19,251 न्यायाधीशों/न्यायिक अधिकारियों की कार्य शक्ति के मुकाबले, 31 अक्टूबर, 2022 तक 21,140 कोर्ट हॉल और 18,547 आवासीय इकाइयां उपलब्ध हैं।
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