कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति कौशिक चंदा ने बुधवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दायर चुनावी याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिसमें 2021 के विधानसभा चुनावों में नंदीग्राम निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के चुनाव को चुनौती दी गई थी।
अदालत ने, हालांकि, बनर्जी पर उस परिकलित तरीके से 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जिसमें उन्होंने न्यायमूर्ति चंदा को अलग करने की मांग की थी।
न्यायधीश चंदा ने आदेश मे कहा किसी भी नागरिक की तरह, एक न्यायाधीश भी अपने मताधिकार का प्रयोग करता है और राजनीतिक झुकाव रखता है। किसी जज का राजनीतिक से पुराना जुड़ाव पूर्वाग्रह की आशंका नहीं हो सकता। इस तरह के विवाद को स्वीकार करने से बेंच हंटिंग हो जाएगी।
बनर्जी ने न्यायमूर्ति चंदा को इस आधार पर मामले से अलग करने की मांग की थी कि वह कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने से पहले भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय सदस्य थे।
न्यायमूर्ति चंदा ने बेंच में पदोन्नत होने से पहले भाजपा सरकार के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी काम किया था।
बनर्जी ने सबसे पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश (सीजे) राजेश बिंदल को पत्र लिखकर अपने मामले को किसी अन्य न्यायाधीश को सौंपने की मांग की थी।
यह मामला 18 जून को एक बार न्यायमूर्ति चंदा के समक्ष सूचीबद्ध होने के बाद था जब उनके सामने यह मुद्दा नहीं उठाया गया था।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को लिखे गए पत्र का कोई जवाब नहीं मिला जिसके बाद उन्होंने न्यायिक पक्ष में एक आवेदन दायर कर न्यायमूर्ति चंदा को अलग करने की मांग की।
जब 24 जून को सुनवाई के लिए आवेदन आया, तो न्यायमूर्ति चंदा ने पार्टी के साथ अपने करीबी संबंध को स्पष्ट रूप से स्वीकार किया।
हालांकि, उन्होंने पूछा कि जब 18 जून को पहली बार याचिका उनके सामने आई तो न्यायिक पक्ष में उनके सामने यह मुद्दा क्यों नहीं उठाया गया।
पूरे देश में, पहले न्यायिक पक्ष में न्यायाधीश से संपर्क करने की प्रथा है। लेकिन आपने पहले प्रशासनिक पक्ष से संपर्क किया।
तब जस्टिस चंदा ने मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
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