कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बुधवार को बेंगलुरू की एक सत्र अदालत को निर्देश दिया कि वह 4 जनवरी तक निकिता सिंघानिया की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई करे और फैसला सुनाए। निकिता, तकनीकी विशेषज्ञ अतुल सुभाष की पत्नी थीं। अतुल ने पिछले महीने अपनी पत्नी और उसके परिवार पर उत्पीड़न का आरोप लगाने के बाद आत्महत्या कर ली थी।
1 जनवरी को न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौदर की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुभाष के पिता विकास कुमार मोदी को निर्देश दिया कि वे उच्चतम न्यायालय को सूचित करें कि मृतक के परिवार ने अपने पोते की हिरासत के लिए याचिका कहां दायर की है।
न्यायालय ने अंतरिम आदेश सिंघानिया द्वारा अंतरिम जमानत की मांग करने और उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। सिंघानिया के वकील ने अवकाश पीठ को बताया कि उनके मुवक्किल की गिरफ्तारी अवैध है क्योंकि पुलिस ने उन्हें गिरफ्तारी के आधार नहीं बताए हैं।
वकील ने उच्च न्यायालय से सिंघानिया को अंतरिम जमानत देने का भी आग्रह किया ताकि वह उच्चतम न्यायालय में अपना बचाव कर सकें, जहां उनकी सास ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है।
उन्होंने कहा कि यदि जमानत नहीं दी जाती है तो सिंघानिया सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही में शामिल नहीं हो पाएंगी और बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका अपने आप में हिरासत की लड़ाई होगी जिसका फैसला उनकी अनुपस्थिति में होने की संभावना है।
उच्च न्यायालय ने मामले में आगे की सुनवाई 6 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी, जब उसे बताया गया कि सिंघानिया की जमानत याचिका पर 4 जनवरी को निचली अदालत में सुनवाई होनी है।
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