PM Modi and Karnataka High Court  
वादकरण

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 'मोदी को वोट दें' संदेश के साथ शादी के निमंत्रण भेजने वाले व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी रद्द कर दी

आरोपी शिवप्रसाद पर शादी का निमंत्रण भेजने के लिए मामला दर्ज किया गया था, जिसमें लिखा था, “मोदी को वोट देना मेरी शादी का उपहार है।”

Bar & Bench

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी और उसके बाद की सभी आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया, जिसने अपने विवाह के निमंत्रण कार्ड पर एक संदेश छपवाया था, जिसमें लोगों से 2024 के संसदीय चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वोट देने का अनुरोध किया गया था।

न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने दक्षिण कन्नड़ जिले के निवासी शिवप्रसाद नामक आरोपी द्वारा दायर याचिका को खारिज करने की अनुमति दे दी।

अदालत ने सह-आरोपी बालकृष्ण ए के खिलाफ सभी कार्यवाही को भी खारिज कर दिया, जो कार्ड प्रिंटिंग एजेंसी का मालिक है जिसने शिवप्रसाद की शादी के निमंत्रण कार्ड छापे थे।

अदालत के विस्तृत आदेश का इंतजार है।

11 नवंबर को न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने एफआईआर पर अंतरिम रोक लगा दी थी।

अदालत ने उस समय कहा था, "याचिकाकर्ताओं/आरोपियों पर एक अजीब अपराध का आरोप है। पहला याचिकाकर्ता अपनी शादी का निमंत्रण कार्ड छापता है और एक पोस्ट स्क्रिप्ट छापता है जिसमें लिखा होता है कि 'आप मुझे शादी में जो उपहार देंगे वह नरेंद्र मोदी के लिए वोट है'। इसे जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 127ए के तहत अपराध कहा जाता है।"

Justice M Nagaprasanna

इस साल 25 अप्रैल को चुनाव अधिकारी संदेश केएन द्वारा शिवप्रसाद के खिलाफ शिकायत दर्ज किए जाने के बाद पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (लोक सेवक के आदेश की अवज्ञा) और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपी ​​एक्ट) की धारा 127ए के तहत शिवप्रसाद पर मामला दर्ज किया था।

शिकायत के अनुसार, अपनी शादी के निमंत्रण कार्ड में शिवप्रसाद ने एक लाइन छपवाई थी, जिसमें लिखा था, "मोदी को वोट देना मेरी शादी का तोहफा है।"

शिकायतकर्ता ने कहा था कि यह चुनाव आचार संहिता के नियमों का उल्लंघन है।

वकील विनोद कुमार के माध्यम से दायर अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उनका निमंत्रण कार्ड इस साल 1 मार्च को छपा था, जो 2024 के संसदीय चुनावों के मद्देनजर आचार संहिता लागू होने से काफी पहले का समय था।

याचिकाकर्ता ने कहा कि चुनाव आयोग ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए कार्यक्रमों की सूची 16 मार्च को ही घोषित कर दी थी और प्रतिवादी चुनाव अधिकारी ने इसके करीब एक महीने बाद 19 अप्रैल को शिकायत दर्ज कराई।

याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी तर्क दिया कि आरपी अधिनियम तभी लागू होता है जब आचार संहिता लागू हो। उन्होंने आगे कहा कि मजिस्ट्रेट दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों का पालन करने में विफल रहे और इस प्रकार, उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर “कानून की दृष्टि से गलत” थी।

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Karnataka High Court quashes FIR against man who sent out wedding invites with 'Vote for Modi' message]