एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुनवाई के दौरान हुक्का पीते हुए देखे जाने के बाद डॉ॰ राजीव धवन के वरिष्ठ पदनाम को वापस लेने के उद्देश से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट के समक्ष राजस्थान राजनीतिक संकट मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुनवाई के दौरान धवन का हुक्का पीते हुये वाला एक वीडियो क्लिप प्रसारित किया गया था। जिसकी वजह से पूरे बार मे बहुत आलोचना और नाराजगी की प्रतिक्रियाएँ पैदा हुयी हैं।
प्रार्थी राशिद पठान सूप्रीम कोर्ट के समक्ष कहता है कि धवन का चरित्र "सीनियर काउंसिल के पवित्र गाउन को गंदा करने में अपमानजनक रहा हैं" और यह आचरण न्यायालय की अवमानना अधिनियम की धारा 2 (सी) के दायरे में आता है और साथ ही बार काउंसिल के नियमों, जो कि अधिवक्ताओं के आचरण के संबंध मे होते हैं, का भी उल्लंघन करता है
“बार काउंसिल ऑफ कंडक्ट रूल्स ऑफ इंडिया के नियम 1 और 2 के तहत, एक अधिवक्ता को न्यायालय के समक्ष और स्वाभिमान के साथ सम्मानजनक तरीके से कार्य करने के लिए शामिल किया जाता है। कोर्ट शब्द में निश्चित रूप से एक वर्चुअल कोर्ट भी शामिल है; और एक प्रतिष्ठित वरिष्ठ अधिवक्ता के लिए किसी भी ज्ञात अपवाद के बिना गरिमापूर्ण आचरण का पालन होना चाहिए।"
इस हालिया घटना के अलावा, याचिका में धवन से जुड़े पिछले उदाहरण भी शामिल हैं, जिसमें उन्होंने न्यायालय के न्यायाधीशों के साथ आदान-प्रदान किया था।
याचिकाकर्ता का दावा है कि धवन जैसे वरिष्ठ अधिवक्ता का आचरण, जिसमें संस्था को बदनाम करने की क्षमता है, याचिकाकर्ता के अधिकार को भी प्रभावित करता है "प्रतिवादी नंबर 1 (धवन) जैसे वरिष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा एक प्रतिष्ठित और राजसी न्यायपालिका का अनावरण किया गया"।
इसलिए, याचिकाकर्ता ने धवन को उनके वरिष्ठ पद से हटाने की मांग की है।
"... श्री धवन के आचरण ने पूर्ण स्वतंत्र होने के पर्याय वरिष्ठ वकील पदनाम की छवि धूमिल कर दी है, जो माननीय न्यायालयों की गरिमा को धूमिल करने के लिए काफी है।"सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका
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