मुंबई की एक अदालत ने सोमवार को गीतकार जावेद अख्तर की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तुलना तालिबान से करने वाली कथित टिप्पणी के लिए एक आपराधिक मानहानि शिकायत में मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती दी थी।
सत्र न्यायाधीश प्रीति कुमार घुले ने फैसला सुनाया कि मुलुंड में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा अख्तर को तलब करने का आदेश कानूनी रूप से सही था।
आदेश की विस्तृत प्रति की प्रतीक्षा है।
मजिस्ट्रेट ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 (मानहानि) और 500 (मानहानि के लिए सजा) के तहत अक्टूबर 2021 में एक वकील संतोष दुबे द्वारा दायर एक आपराधिक शिकायत में गीतकार को समन जारी किया था।
दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 200 के तहत मजिस्ट्रेट द्वारा शिकायतकर्ता और दो गवाहों के बयान दर्ज किए जाने के बाद अख्तर को 13 दिसंबर, 2022 को तलब किया गया था।
अख्तर ने इस आधार पर अधिवक्ता जय के भारद्वाज के माध्यम से दायर एक पुनरीक्षण याचिका के माध्यम से आदेश को चुनौती दी कि सीआरपीसी के तहत निर्धारित किसी भी जांच के बिना प्रक्रिया जारी की गई थी।
अख्तर ने दावा किया कि शिकायतकर्ता इस तरह की शिकायत दर्ज करने के लिए अपना ठिकाना दिखाने में विफल रहा।
याचिका में यह भी कहा गया है कि मजिस्ट्रेट का आदेश प्रकृति में यांत्रिक था और बयान दिए जाने की परिस्थितियों पर विचार किए बिना जल्दबाजी में पारित किया गया था।
और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें
Mumbai Court rejects Javed Akhtar plea against order summoning him over RSS Taliban remark