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वादकरण

जगनमोहन रेड्डी के आरोपो के मद्देनजर SC मे याचिका: आंध्र के CM ने सड़क पर न्यायपालिका पर अनुचित काम के आरोप लगाकर सीमाये लांघी

उच्चतम न्यायालय के पीठासीन न्यायाधीश पर न्यायिक अनैतिकता और दुराग्रह के आरोप लगाते हुये मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को लिखे गये पत्र के बाद यह याचिका दायर हुई

Bar & Bench

उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी को शीर्ष अदालत की संस्था और इसके न्यायाधीशों की छवि धूमिल करने वाले सार्वजनिक बयान या प्रेस कांफ्रेंस नहीं करने निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

यह याचिका आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के प्रिंसिपल सलहकार की 10 अक्टूबर को प्रेस कांफ्रेंस के तुरंत बाद दायर की गयी। इस प्रेस कांफ्रेंस में खुलासा किया गया था कि उच्चतम न्यायालय के एक पीठासीन न्यायाधीश पर दुराग्रह और न्यायिक अनैतिकता के आरोप लगाते हुये मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को एक पत्र लिखा गया है।

अधिवक्ता मुक्ति सिंह के माध्यम से दायर इस याचिका में कहा गया है कि न्यायालय में जनता का विश्वास दांव पर है। याचिका के अनुसार,

“आज के समाज में, जहां मीडिया और सोशल मीडिया में चर्चा चंद दिनों या घंटों में ही जंगल में आग की तरह फैल जाता है, यह न्यायपालिका की प्रतिष्ठा और न्यायपालिका के प्रति आम जनता के विश्वास को प्रभावित कर सकती है।’’

याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि संविधान के अनुच्छेद 121 और 211 के अंतर्गत न्यायाधीशों पर भ्रष्टाचार और दुराग्रह के आरोप लगाना निषेध है। इसमें आगे कहा गया है कि ‘‘संविधान में ही प्रावधान है कि कर्तव्य के निर्वहन के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश के संबंध में संसद या राज्य विधानमंडल में कोई बहस नहीं होगी।’’

याचिकाकर्ता अधिवक्ता सुनील कुमार सिंह के अनुसार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने संविधान में प्रदत्त सीमा लांघी है। याचिका में कहा गया है कि न्यायपालिका को प्रदान की गयी संवैधानिक छूट का मकसद ही यह है कि वे निडर होकर अपना काम कर सकें।

‘‘आज के समाज में, जहां मीडिया और सोशल मीडिया में चर्चा चंद दिनों या घंटों में ही जंगल में आग की तरह फैल जाता है, यह न्यायपालिका की प्रतिष्ठा और न्यायपालिका के प्रति आम जनता के विश्वास को प्रभावित कर सकती है।’’
याचिका के अनुसार

इस घटना को अभूतपूर्व बताते हुये याचिकाकर्ता ने कहा है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता की मूल अवधारणा ही अधिकारों के बंटववारे का सिद्धांत है। सरकारके तीनों अंगों के बीच संबंध परस्पर सम्मान का होना चाहिए और प्रत्येक को दूसरे की भूमिका को समझना और उसका सम्मान करना चाहिए।’’

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को संबोधित पत्र में मुख्यमंत्री रेड्डी ने आरोप लगाया था कि आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित राज्य सरकार को अस्थिर करने और अपदस्थ करने के लिये उच्च न्यायालय का इस्तेमाल कर रहे हैं।

पत्र में आरोप लगाया गया है कि नयी सरकार ने जब से नायडू के 2014-2019 के कार्यकाल के दौरान की कार्रवाई की जांच शुरू करायी है, अब यह स्पष्ट है, उच्चतम न्यायालय के पीठासनी न्यायाधीश ने ‘मुख्य न्यायाधीश के जरिये राज्य में न्याय के प्रशासन की प्रक्रिया को प्रभावित करना शुरू कर दिया है।’

याचिका में मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी का कारण बताओ नोटिस जारी करने का अनुरोध किया गया है कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।

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Andhra CM crossed limits by going on street to allege judicial impropriety: Plea filed in SC in wake of Jaganmohan Reddy's allegations