कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हाल ही में पीड़िता की मेडिकल जांच रिपोर्ट के अभाव में एक आरोपी के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 के तहत बलात्कार और भेदन यौन उत्पीड़न के आरोपों को हटा दिया। (सुब्रत प्रधान बनाम पश्चिम बंगाल राज्य)।
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी ने फैसले में कहा कि पीड़िता ने खुद का चिकित्सकीय परीक्षण कराने से इनकार किया है और यह आरोपी के पक्ष में जाएगा।
कोर्ट ने कहा, "अगर 13 साल की लड़की को आरोपी सुब्रत प्रधान जैसे वयस्क व्यक्ति द्वारा प्रताड़ित किया जाता है, तो उसके गुप्तांग पर हिंसा और चोट के निशान होने चाहिए। चोट के उक्त निशान पीड़िता के चिकित्सकीय परीक्षण के समय दिखाई देंगे। हालांकि, पीड़िता ने चिकित्सकीय जांच कराने से इनकार किया। इस प्रकार, पीड़ित की चिकित्सा जांच की किसी भी रिपोर्ट की अनुपस्थिति आरोपी के पक्ष में जाएगी और वह संदेह का लाभ पाने का हकदार है।"
अदालत ने यह भी पाया कि पीड़िता के बयानों और गवाहों के साक्ष्यों में भौतिक विरोधाभास थे और अभियोजन मामले में खामियां थीं।
[निर्णय पढ़ें]
और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें
[POCSO] Absence of medical report of victim would go in favour of rape accused: Calcutta High Court