वादकरण

मतदान एक संवैधानिक अधिकार; संसद की सहायक शक्तियो द्वारा खारिज नही किया जा सकता: चुनाव आयोग के मामले मे न्यायमूर्ति केएम जोसेफ

यह टिप्पणी तब की गई जब चुनाव आयोग के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मतदान का अधिकार संवैधानिक अधिकार के बजाय एक वैधानिक है।

Bar & Bench

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि संविधान का अनुच्छेद 326 नागरिकों को वोट देने का अधिकार देता है और इसे संसद की सहायक कानून बनाने वाली शक्तियों द्वारा खारिज नहीं किया जा सकता है।

यह टिप्पणी तब की गई जब चुनाव आयोग के वकील ने जस्टिस केएम जोसेफ, अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, सीटी रविकुमार और हृषिकेश रॉय की संविधान पीठ को बताया कि मतदान का अधिकार संवैधानिक अधिकार से अधिक वैधानिक है।

न्यायमूर्ति जोसेफ ने वकील से अनुच्छेद 326 (जो सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का प्रावधान करता है) को पढ़ने के लिए कहने के बाद टिप्पणी की,

"यदि आप यह कहने जा रहे हैं कि संसद की विधायी शक्ति संवैधानिक शक्ति पर हावी होने वाली है ... संविधान ने अधिकार देने पर विचार किया है, यह एक मौलिक बात है ...संसद द्वारा सहायक कानून बनाने का उद्देश्य वास्तव में इसे [वोट का अधिकार] देना है ...अब अगर विधायिका कहेगी कि हम कानून नहीं बनाएंगे (अनुच्छेद 324 के तहत), तो निश्चित रूप से हम परमादेश जारी करेंगे।"

न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि सहायक कानून बनाने की शक्तियां अनुच्छेद 326 के तहत कुछ मतदाताओं की अयोग्यता से संबंधित थीं।

न्यायालय ईसीआई के सदस्यों की नियुक्ति की मौजूदा प्रणाली को इस आधार पर चुनौती दे रहा था कि कार्यपालिका को भारत के संविधान के अनुच्छेद 324(2) के उल्लंघन में नियुक्तियां करने की शक्ति प्राप्त है।

पीठ ने आज की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को हाल ही में सेवानिवृत्त सिविल सेवक अरुण गोयल की चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति से संबंधित फाइल पेश करने का भी निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति जोसेफ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि से पूछा कि भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) में नियुक्तियों पर रोक लगाने के लिए एक अंतरिम आवेदन के लंबित होने के कारण नियुक्ति कैसे की जा सकती है।

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Right to vote a Constitutional right; cannot be overruled by parliament's ancillary powers: Justice KM Joseph in Election Commission case