Sabarimala Temple  
वादकरण

सबरीमाला सोना चोरी: केरल हाईकोर्ट ने FIR और FIS की कॉपी ED को देने से मना करने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया

कोर्ट ने एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट को प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत 'क्राइम से हुई कमाई' के सबूत के साथ ट्रायल कोर्ट में एक नई एप्लीकेशन फाइल करने का निर्देश दिया।

Bar & Bench

केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें सबरीमाला सोने की हेराफेरी मामले में एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) को फर्स्ट इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट (FIR) और फर्स्ट इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (FIS) की सर्टिफाइड कॉपी देने से मना कर दिया गया था। [डायरेक्टोरेट ऑफ़ एनफोर्समेंट बनाम केरल राज्य]।

सबरीमाला मंदिर से सोने की कथित चोरी की जांच की निगरानी कर रहे जस्टिस राजा विजयराघवन वी और केवी जयकुमार की डिवीजन बेंच ने कहा कि ट्रायल कोर्ट का आदेश कानूनी तौर पर टिकने लायक नहीं है।

बेंच ने यह भी साफ किया कि उसने इस मामले में ट्रायल कोर्ट को ऐसी एप्लीकेशन पर विचार करने से रोकने के लिए कभी कोई निर्देश नहीं दिया।

कोर्ट ने आगे कहा, "मजिस्ट्रेट के दिए गए आदेश को पढ़ने के बाद, हमारा मानना ​​है कि इसे बनाए नहीं रखा जा सकता। हमने किसी भी समय मजिस्ट्रेट पर PMLA या क्रिमिनल रूल्स ऑफ प्रैक्टिस के रूल 226 के नियमों के अनुसार किसी एप्लीकेशन पर विचार करने पर कोई रोक नहीं लगाई है।"

हालांकि, कोर्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट के सामने ED की एप्लीकेशन में 'अपराध से हुई कमाई' के बारे में कोई दावा नहीं था, जो प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 (PMLA) लागू करने के लिए एक ज़रूरी शर्त है।

इसलिए, कोर्ट ने ED को ट्रायल कोर्ट में क्राइम से हुई कमाई के सबूत दिखाने वाले मटीरियल के साथ एक नई एप्लीकेशन फाइल करने की इजाज़त दे दी।

Justice Raja Vijayaraghavan V and Justice KV Jayakumar

सोना चोरी के इस मामले में आरोप है कि सबरीमाला मंदिर में श्रीकोविल जाने वाली द्वारपालक की मूर्तियों और दरवाज़ों के फ्रेम पर लगी प्लेटों से कई किलोग्राम सोना गायब हो गया।

इन्हें उन्नीकृष्णन पोट्टी नाम के एक आदमी ने रिपेयर के काम के लिए भेजा था, जिसने रिपेयर का काम स्पॉन्सर करने का काम किया था, और यह काम चेन्नई की एक फर्म को सौंपा गया था।

हालांकि, जब रिपेयर के काम के बाद प्लेटों को नापा गया तो इन चीज़ों से सोना गायब पाया गया, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया।

कुछ सोना कथित तौर पर अधिकारियों ने पोट्टी की बहन के घर से भी बरामद किया था।

इसके बाद तिरुवनंतपुरम क्राइम ब्रांच ने इंडियन पीनल कोड और प्रिवेंशन ऑफ़ करप्शन एक्ट, 1988 के तहत गंभीर अपराधों का आरोप लगाते हुए एक क्राइम रजिस्टर किया, जो दोनों PMLA के तहत तय अपराध हैं।

हाईकोर्ट ने भी क्राइम की जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बनाई।

इसके बाद ED ने ट्रायल कोर्ट, यानी रन्नी में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास से संपर्क किया और PMLA के तहत कार्रवाई शुरू करने के लिए FIR की कॉपी मांगी। लेकिन, ट्रायल कोर्ट ने जांच की सेंसिटिविटी और हाईकोर्ट द्वारा खुद से की गई कार्रवाई के ज़रिए चल रही मॉनिटरिंग का हवाला देते हुए रिक्वेस्ट खारिज कर दी।

इस तरह, ED ने हाई कोर्ट का रुख किया, यह कहते हुए कि ट्रायल कोर्ट ने हाई कोर्ट के अंतरिम निर्देश का गलत मतलब निकाला है, जिसमें सिर्फ़ मीडिया ट्रायल और प्रेस द्वारा पैरेलल जांच पर रोक लगाई गई थी।

इसमें यह भी कहा गया कि केरल के क्रिमिनल रूल्स ऑफ़ प्रैक्टिस के रूल 226 के अनुसार, सिर्फ़ एक वेरिफाइड पिटीशन ही फाइल की जानी चाहिए जिसमें यह बताया गया हो कि FIR की कॉपी किस मकसद से मांगी गई थी। ED ने कहा कि मजिस्ट्रेट सिर्फ़ इस आधार पर ऐसी एप्लीकेशन को मना नहीं कर सकते कि मामला सेंसिटिव है।

इसमें आगे कहा गया कि आरोपियों ने जाली डॉक्यूमेंट्स बनाए थे और सबरीमाला मंदिर से कीमती सोने की चीज़ें दूसरी जगह ले गए थे, जिससे पहली नज़र में ED द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग की संभावना की जांच ज़रूरी है।

डिवीजन बेंच ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करना सही समझा और ED को FIR और FIS तक पहुंच पाने के लिए एक नई एप्लीकेशन फाइल करने का निर्देश दिया।

ED की तरफ से स्टैंडिंग काउंसिल जयशंकर वी नायर ने पैरवी की।

राज्य की ओर से डायरेक्टर जनरल ऑफ़ प्रॉसिक्यूशन और सीनियर एडवोकेट TA शाजी, स्पेशल सरकारी वकील P नारायणन और सीनियर सरकारी वकील S राजामोहन पेश हुए।

[ऑर्डर पढ़ें]

Directorate_of_Enforcement_v_State_of_Kerala.pdf
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Sabarimala gold theft: Kerala High Court sets aside trial court order denying FIR, FIS copies to ED