इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक ऐसे व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी है, जिस पर एक अस्पताल में चिकित्सा के दौरान अपनी पत्नी को खोने के बाद फेसबुक पोस्ट के लिए आरोपित किया गया था (अशोक कुमार गौतम बनाम यूपी राज्य)।
एकल-न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि मामले पर विचार करने की आवश्यकता है और राज्य के अधिकारियों को नोटिस जारी किया है।
"प्रथम दृष्टया, मामले पर विचार करने की आवश्यकता है। विरोधी पक्ष संख्या 2 को 1 सितंबर तक वापसी योग्य नोटिस जारी किए जाते हैं।"
अदालत ने याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज आपराधिक कार्यवाही पर भी सुनवाई की अगली तारीख तक रोक लगा दी।
सूचीबद्ध होने की अगली तिथि तक प्रकरण क्रमांक 937/2021 (राज्य बनाम अशोक कुमार गौतम) थाना नौचंडी, जिला मेरठ में अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी-प्रथम मेरठ के न्यायालय में लंबित कार्यवाही पर रोक रहेगी।
आवेदक के वकील ने बताया कि उक्त कार्यवाही 25 जुलाई, 2020 को दर्ज की गई पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) के अनुसार शुरू की गई थी, जिसे आरोपी द्वारा फेसबुक पोस्ट किए जाने के बाद दर्ज किया गया था।
पोस्ट में आरोपी ने इलाज के दौरान पत्नी की मौत पर दुख जताया।
आगे यह प्रस्तुत किया गया था कि आवेदक ने 21 सितंबर, 2020 को मुख्य चिकित्सा अधिकारी, मेरठ को चिकित्सा उपचार के दौरान अपनी पत्नी की मृत्यु से संबंधित मामले के संबंध में एक शिकायत प्रस्तुत की थी।
इसलिए, यह दावा किया गया कि पूरी कार्यवाही दुर्भावनापूर्ण है और केवल आवेदक को परेशान करने की दृष्टि से है।
एफ़आईआर भारतीय दंड सहिंता की धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) 507 (अनाम संचार द्वारा आपराधिक धमकी) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और उत्तर प्रदेश चिकित्सा सेवा व्यक्ति और चिकित्सा सेवा संस्थान (हिंसा की रोकथाम और संपत्ति को नुकसान) अधिनियम के प्रावधानों के तहत दर्ज की गयी थी।
इस मामले पर 1 सितंबर को फिर सुनवाई होगी।
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