चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (सीएनएलयू) पटना के कई छात्रों ने कोविड-19 महामारी के बीच देय शुल्क की कटौती के लिए अपने हस्तक्षेप की मांग करते हुए पटना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
उच्च न्यायालय ने रजिस्ट्रार सीएनएलयू को कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 28 सितंबर को होगी।
10 अगस्त को कुलपति को और 25 अगस्त को कुलाधिपति को लिखे पत्रों का कोई जवाब नहीं मिलने के बाद याचिका प्रस्तुत की गई थी।
इस मुद्दे पर निष्क्रियता और विश्वविद्यालय से अपारदर्शी मुंहतोड़ जवाब के बाद, छात्रों ने सुविधाएं शुल्क और पुस्तकालय शुल्क के तहत ली जाने वाली शुल्क के साथ अपनी चिंता व्यक्त की है।
क्रमशः 5th वर्ष के बैच 2016-2021 के छात्रों की सुविधाएं शुल्क लगभग रु॰ 15,000/- और 2nd, 3rd, 4th वर्ष के बैच 2019-2024, 2018-2023, 2017-2022 के छात्रों की सुविधाएं शुल्क लगभग रु॰ 16,000-/ है।
इसके अतिरिक्त, लाइब्रेरी शुल्क रु॰ 5000/- सभी बैच के छात्रों से ली जा रही है।
याचिकाकर्ताओं का मामला यह है कि हाल ही के महीनों में 15 मार्च 2020 से कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सीएनएलयू बंद रहने से, विश्वविद्यालय की किसी भी सुविधा का उपयोग नहीं किया गया है।
इसके अलावा, यह तर्क दिया जाता है कि मौजूदा कोविड-19 खतरा और वर्तमान अकादमिक अनुसूची में सवाल उठता है कि विश्वविद्यालय को फिर से कब खोला जाएगा। यह आगे उल्लेख किया गया है कि स्पष्ट संकेत हैं कि विश्वविद्यालय आगामी शैक्षणिक वर्ष यानी 2021-2022 के लिए बंद रह सकता है।
याचिकाकर्ताओं ने पिछले भुगतान चक्र से मेस शुल्क, वार्षिक / अतिरिक्त कमरे का किराया और सुविधाओं के शुल्क मे कटौती के लिए अनुरोध किया है, क्योंकि 15 मार्च से सुविधाओं का उपयोग नहीं किया गया था।
इसके अलावा, वार्षिक शुल्क के भुगतान के लिए अंतिम तिथि का स्थगन, जो कि मूल रूप से 31 अगस्त को तय किया गया था, के लिए भी प्रार्थना की गई है। यह आग्रह किया गया कि भुगतान की अंतिम तिथि को 30 सितंबर कर दी जाए।
याचिका एडवोकेट सुमीत कुमार सिंह द्वारा प्रस्तुत की गयी
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