उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान विमान यात्रा के लिये बुक कराये गये टिकटों का पैसा यात्रियों को वापस करने के बारे में नागरिक उड्डन महानिदेशालय की सभी सिफारिशें आज स्वीकार कर लीं।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने स्पष्ट किया कि ट्रैवेल एजेन्ट के माध्यम से बुक कराये गये टिकटों का पैसा सीधे यात्रियों को नहीं बल्कि ट्रैवेल एजेन्ट को वापस मिलेगा।
न्यायालय ने पिछले सप्ताह जब इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था तो सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने केन्द्र का रूख स्पष्ट किया था कि लॉकडाउन के दौरान टिकट बुक कराने वाले ट्रैवले एजेन्ट को क्रेडिट शेल सुविधा का लाभ नहीं उठा सकते हैं।
‘‘जहां तक ट्रैवेल एजेन्ट का संबंध है, हम उन्हें नियंत्रित नहीं कर सकते। हमारा उन पर नियंत्रण नहीं है। लेकिन सुझाव यह है कि यात्री सिर्फ एजेन्ट के जरिये ही क्रेडिट शेल का उपायोग कर सकते हैं।’’
केन्द्र ने यह भी कहा था कि वह एजेन्ट और यात्रियों के बीच हुये समझौते की जिम्मेदारियों को नियंत्रित नहीं कर सकता है। सालिसीटर जनरल ने दलील दी थी,
‘‘हम दो एजेन्सियों को मान्यता दे सकते हैं क्योंकि वे-यात्री और एयरलाइंस- मान्यता योग्य हैं। हमने अपनी ओर से यह सुनिश्चित किया है कि यात्रियों को उनका पैसा वापस मिल जाये या उन्हें हस्तांतरित वाउचर मिले।’’
न्यायालय जानना चाहता था कि इन वाउचर का हस्तांतरण किस तरह होगा। न्यायालय का सवाल था,
‘‘अगर यात्री एजेन्ट को वाउचर सौंप दे और उसे ही वापस कर दिया जायेगा?’’
इस पर मेहता ने जवाब दिया,
‘‘हमें इसमें कोई दिक्कत नहीं है अगर यात्रियों को अपना वाउचर एजेन्ट के समक्ष सरेन्डर करने से पैसा मिल जाता है।’’
ट्रैवेल एजेन्ट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पल्लव सिसोदिया ने न्यायालय से कहा था कि यात्रियों ने विमानकंपनी को नहीं बल्कि एजेन्ट ने टिकट का पैसा दिया था। उन्होंने न्यायालय को यह भी सूचित किया था कि ऐसे अनेक मामले हैं जिनमें ट्रैवेल एजेन्टों ने विमान कंपनियों को अग्रिम धन दे रखा था।
गोएयर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविन्द दातार ने कहा था कि विमानकंपनियों को जबर्दस्त घाटा हो रहा है और उनकी कार्यशील पूंजी अधर में लटक गयी है जिसकी वजह से उन्हे टिकट वापसी का भार वहन करने के लिये छोड़ दिया गया है।
वरिष्ठ अधिवक्त आर्यमा सुन्दरम ने कहा कि विमान कंपनियां चाहें जो भी परेशानी का सामना कर रही हों लेकिन यात्रियों के अधिकार बाधित नहीं होने चाहिए।
इस पर दातार ने कहा,
‘‘हम यह नहीं कह रहे कि हम वापस नहीं करेंगे लेकिन 31 मार्च, 2021 अव्यावहारिक समय सीमा है। हम इसमें कुछ ढील चाहते हैं।’’
उन्होंने कहा कि गोएयर की धन वापसी के लिये कुछ जिम्मेदारी 300 करोड़ रूपए की है जिसमे से 40 करोड़ रूपए पहले ही लौटाये जा चुके हैं।
इससे पहले, न्यायालय ने केन्द्र को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था जिसमे यह स्पष्ट करने के लिये कहा गया था कि अगर लॉकडाउन के दौरान बुक कराये गये टिकटों का पैसा वीमान कंपनियां सीधे यात्रियों को वापस करती हैं तो इससे ट्रैवेल एजेन्टों को कैसे नुकसान होगा।
इसके जवाब में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने न्यायालय को सूचित किया था कि लॉकडाउन के दौरान बुक कराये गये टिकटों के लिये क्रेडिट शेल सुविधा सिर्फ उन यात्रियों को उपलब्ध होगी जो उड़ान का लाभ नहीं उठा सके और ट्रेवेल एजेनट को कोई क्रेडिट शेल सुविधा नहीं मिलेगी।
केन्द्र ने यह भी सूचित किया था कि विमान टिकटों के पैसे की वापसी सिर्फ उन उड़ानों तक -घरेलू और अंतराष्ट्रीय उड़ान- सीमित रहेगी जो भारत से उड़ान भरने वाली थीं। यह भी स्पष्ट किया गया कि भारत के बाहर से उड़ान भरने वाली उड़ानों के मामले में पैसा लौटाना लागू नहीं होगा चाहें भारत आने वाली उड़ान भारतीय कपनी की हो या अंतरराष्ट्रीय विमान कंपनी की।
इससे पहले, डीजीसीए ने यात्रियों की तीन श्रेणियां बनाई थीं।
वे यात्री जिन्होंने लॉकडाउन से पहले 24 मई तक की अवधि के लिये बुकिंग करायी थी। इनके पैसे की वापसी क्रेडिट शेल योजना के तहत होगी।
लॉकडाउन के दौरान यात्रा के लिये लॉकडाउन अवधि में ही बुकिंग कराने वाले यात्रियों के पैसे की वापसी एयरलाइंस तुरंत करेंगे क्योंकि विमानकंपनियों को ऐसे टिकट नहीं करने थे।
ऐसे यात्री जिनकी बुकिंग 24 मई के बाद यात्रा के लिये थी, उनके धन की वापसी पर नागरिक उड्डयन आवश्यकताएँ लागू होगा।
कुल मिलाकर 24 मई इन यात्रियों की श्रेणी बनाने की तारीख है क्योंकि उस दिन से घरेलू उड़ानों का संचालन शुरू हुआ था।
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