NEET JEE EXAMS-2020 
वादकरण

छात्रो के कैरियर को खतरे मे नही डाला जा सकता है, एससी ने नीट जेईई के स्थगन की याचिका खारिज की

"जीवन को रोका नहीं जा सकता। हमें सभी सुरक्षा उपायों और सभी के साथ आगे बढ़ना होगा ... क्या आप (छात्र) एक साल बर्बाद करने के लिए तैयार हैं?", कोर्ट ने कहा।

Bar & Bench

सुप्रीम कोर्ट ने आज कोविड़-19 महामारी के बीच आयोजित होने वाली राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा (नीट) और संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) को स्थगित करने की याचिका को खारिज कर दिया।

जस्टिस अरुण मिश्रा, बीआर गवई और कृष्ण मुरारी की खंडपीठ विभिन्न राज्यों के 11 छत्रों की ओर से दायर नीट और जेईई को स्थगित करने की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यह भी कहा गया की जब कोविड​​-19 महामारी के बाद सामान्य स्थिति में लौट तो राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) को परीक्षा आयोजित करने के लिए एक दिशा-निर्देश भी मांगा ।

आज की सुनवाई की शुरुआत में, न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा,

"जीवन को रोका नहीं जा सकता है। हमें सभी सुरक्षा उपायों और सभी के साथ आगे बढ़ना है ... क्या आप (छात्र) एक पूरे साल बर्बाद करने के लिए तैयार हैं?"
जस्टिस अरुण मिश्रा

याचिकाकर्ताओं की तरफ से उपस्थित हुए, अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव ने महामारी के बीच सीबीएसई और आईसीएसई परीक्षा रद्द करने और एआईबीई के स्थगन का उल्लेख कोर्ट के समक्ष किया।

"हम अनिश्चितकालीन स्थगन की तलाश में नहीं हैं।"

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की तरफ से उपस्थित सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि परीक्षा आयोजित करते समय सभी सुरक्षा उपाय किए जाएंगे।

न्यायालय ने याचिका को खारिज करते हुए कहा,

"छात्रों के कैरियर को लंबे समय तक खतरे में नहीं डाला जा सकता है।"

इसके साथ, न्यायालय ने स्पष्ट किया कि नीट और जेईई परीक्षा स्थगित नहीं की जाएगी।

कार्यक्रम के अनुसार आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं के लिए एक अलग याचिका का भी निपटा दी गई थी, जिसमें न्यायालय ने कहा कि याचिका में दी गई शिकायतों का अब कोई अस्तित्व नहीं है।

याचिकाकर्ताओं ने सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह किया है कि सितंबर के लिए निर्धारित नीट और जेईई (मुख्य) परीक्षाओं को रद्द करने के लिए केंद्र को निर्देश दिया जाए। यह भी आग्रह किया गया था कि देश भर में नीट और जेईई परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए, और यह कि प्रत्येक राज्य के एक जिले में कम से कम एक केंद्र आवंटित किया जाए।

याचिका में आगे कहा गया है कि न्यायालय ने अभ्यर्थियों को आवेदन पत्र भरने के नए अवसरों की अनुमति दी है। पीड़ित छात्रों ने कहा है कि भले ही परीक्षाएं सितंबर में होने वाली हों, लेकिन कोविड़-19 मामलों की बढ़ती संख्या एक बड़ी चिंता का विषय है।

"सितंबर, 2020 के महीनों में जेईई (मुख्य) अप्रैल-2020 और नीट यूजी-2020परीक्षा में लाखों युवा छात्रों के शामिल होने की संभावना है। इस बीच, भारत में कोविड-19 मामले खतरनाक दर से बढ़ रहे हैं। घातक महामारी कोविड़-19 भारत में पहले से ही लगभग 20 लाख लोगों को प्रभावित कर चुकी है और हर गुजरते दिन से स्थिति बिगड़ती जा रही है। इतने खतरनाक समय में पूरे भारत में उक्त परीक्षा आयोजित करना, बीमारी और मृत्यु के खतरे और खतरे के कारण लाखों युवा छात्रों (जिसमें याचिकाकर्ता भी शामिल हैं) के जीवन को खतरे में डालने के अलावा और कुछ नहीं है।"

दलील में कहा गया है कि सितंबर में परीक्षा आयोजित करने का एनटीए का निर्णय "भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित लाखों प्रभावित छात्रों के जीवन के मौलिक मनमाना और हिंसक है और इस आधार पर यह अपास्त होने के लिए उत्तरदायी है।

11 छात्र सीए, आईसीएसई और सीबीएसई परीक्षा में बैठने वाले छात्रों के साथ समानता चाहते हैं। सूप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इन परीक्षाओं को रद्द कर दिया गया था।

इसके साथ ही, छात्रों के माता-पिता के एक निकाय ने एनटीए और शिक्षा मंत्रालय को निर्देश देने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नीट UG-20 और JEE (मुख्य)-20 सितंबर 2020 में दूसरे संशोधित कार्यक्रम में अधिसूचित किए गए हों।

चार छात्रों के माता-पिता द्वारा दायर एक दूसरी और अलग याचिका में एक ही प्रार्थना की जाती है, जो एनटीए को एक निर्देश की तलाश के लिए भी सुनिश्चित करते हैं कि प्रवेश परीक्षा सितंबर में संशोधित कार्यक्रम के अनुसार आयोजित की जाए। याचिकाकर्ताओं के लिए अधिवक्ता मितुल शेलत और जयकृती एस जडेजा उपस्थित हुए।