उच्चतम न्यायालय ने अवमानना के मामले में कारोबारी विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका आज खारिज कर दी। यह मामला भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में बैंकों के समूह द्वारा माल्या के खिलाफ बकाया ऋण से संबंधित था। (विजय माल्या बनाम भारतीय स्टेट बैंक & अन्य)
न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका पर 27 अगस्त को सुनवाई पूरी की थी।
न्यायालय ने विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका पर 27 अगस्त को संक्षिप्त सुनवाई के बाद कहा था कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा। इस मामले की सुनवाई पहले स्थगित करनी पड़ी थी क्योंकि न्यायालय के रिकार्ड में माल्या का महत्वपूर्ण जवाब नहीं मिल सका था।
माल्या अब बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस से संबंधित 9000 करोड़ रूपए से अधिक राशि के बैंक कर्ज की अदायगी नहीं करने के मामले में आरोपी हैं। यह मामला बैंकों के समूह ने शीष अदालत में दायर किया था।
उच्चतम न्यायालय ने बैंकों के ऋण का भुगतान नहीं करने से संबंधित अवमानना मामले में 9 मई, 2017 को शराब के कारोबारी विजय माल्या को दोषी ठहराते हुये उसे 10 जुलाई को पेश होने का निर्देश दिया था। इसके तुरंत बाद ही माल्या ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी।
इस मामले की पहले हुयी सुनवाई के दौरान बैंकों ने माल्या पर इस तथ् को छिपाने का आरोप लगाया था कि उसने कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुये अपने पुत्र सिद्धार्थ माल्या और पुत्री लिएना और तान्या माल्या के नाम धन हस्तांतरित किया।
न्यायालय ने 19 जून को अपनी रजिस्ट्री से ही स्पष्टीकरण मांगा कि माल्या की पुनर्विचार याचिका तीन साल तक सूचीबद्ध क्यों नहीं हुयी।
जस्टिस ललित और भूषण की खंडपीठ ने पिछली सुनवाई में उल्लेख किया था कि समीक्षा सीमित अवधि के भीतर दायर की गई थी, लेकिन अभी भी तीन साल तक सूचीबद्ध नहीं हुई थी।
इस प्रकार इसने सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री से स्पष्टीकरण मांगा कि इस दौरान मामला सूचीबद्ध क्यों नहीं किया गया। इसने इस प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों के नाम भी मांगे हैं।
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Breaking: Supreme Court dismisses Vijay Mallya review petition in contempt case