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सुप्रीम कोर्ट का तुगलकाबाद विध्वंस अभियान रोकने से इनकार; मामले की सुनवाई कल

शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और दिल्ली विकास प्राधिकरण से जवाब मांगा।

Bar & Bench

दिल्ली के तुगलकाबाद में कल दिल्ली नगर निगम द्वारा चलाए गए विध्वंस अभियान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सहमत हो गया।

जस्टिस संजीव खन्ना और एमएम सुंदरेश की पीठ ने केंद्र सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और दिल्ली विकास प्राधिकरण से जवाब मांगा। हालांकि, उसने विध्वंस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

पीठ ने कहा, "कल सूचीबद्द। केंद्र सरकार, एएसआई और डीडीए को नोटिस दिया जाए। हम रोक नहीं लगा रहे हैं।"

इस मामले का पहली बार आज सुबह वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष उल्लेख किया, जिन्होंने तब याचिकाकर्ताओं से न्यायमूर्ति खन्ना की पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख करने के लिए कहा।

तब वरिष्ठ वकील ने न्यायमूर्ति खन्ना की पीठ को सूचित किया कि कई साल पहले, तुगलकाबाद किले के आसपास के क्षेत्रों को खाली करने का आदेश दिया गया था और दिल्ली सरकार ने निवासियों के लिए वैकल्पिक पुनर्वास की पेशकश की थी। हालांकि, अभी तक स्थानांतरण नहीं किया गया है।

खंडपीठ ने टिप्पणी की कि क्षेत्र में बहुत अधिक अनधिकृत अतिक्रमण था।

यह भी देखा गया कि 2013 के भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत, आवश्यक मुआवजे की राशि के कारण इतनी भूमि का अधिग्रहण करना अब मुश्किल था।

कोर्ट ने टिप्पणी की, "इतनी जमीन देना असंभव हो सकता है। और 2013 के अधिनियम के तहत मुआवजे की जितनी राशि की जरूरत है, अब इतनी जमीन हासिल करना बहुत मुश्किल है।"

दिल्ली सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता शादान फरासत ने यह कहते हुए समय मांगा कि स्थानांतरण की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है। हालांकि, अदालत ने मामले की अगली सुनवाई कल के लिए सूचीबद्ध कर दी।

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Supreme Court refuses to halt Tughlakabad demolition drive; to hear case tomorrow