उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 महामारी में सरकार के कथित कुप्रबंधन की जांच के लिये जांच आयोग गठित करने के लिये दायर याचिका पर विचार करने से आज इंकार कर दिया।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने याचिका पर विचार करने से इंकार करते हुये कहा कि यह न्यायालय के विचार का विषय नहीं है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से उपस्थित अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने जब महामारी से निबटने के सरकार के तरीके और एक तरफा लाकडाउन लागू करने पर सवाल उठाया तो न्यायालय ने कहा,
‘‘छह महीने पहले कोई नहीं जानता था कि क्या होगा (महामारी के बारे में)।"
भूषण ने महामारी के संकट से निबटने के सरकार के तरीके पर सवाल उठाते हुये अपनी दलीलों के समर्थन में इस साल के शुरू में आयोजित ‘नमस्ते ट्रंप’ का मुद्दा भी उठाया। हालांकि, पीठ याचिका पर विचार करने की इच्छुक नहीं थी।
न्यायालय ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि जनहित याचिका में अन्य बातों के साथ ही राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना का मुद्दा भी उठाया जिस पर इसी साल के शुरू में न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ अपने फैसले में विचार कर चुकी है।
इस साल जुलाई में दायर जनहित याचिका मे केन्द्र सरकार द्वारा कोविड-19 से निबटने में घोर कुप्रबंधन पर गौर करने के लिये जांच आयोग गठित करने का अनुरोध किया गया था।
याचिका में कहा गया था कि चार घंटे के भीतर ही पहली बार लाकडाउन की घोषणा ‘‘मनमानी, अतार्किक और विशेषज्ञों या राज्य सरकारों से सलाह मशविरे के बगैर’’ ही की गयी थी।
याचिका के अनुसार न्यायालय को राष्ट्र के रक्षक के रूप में सरकार की खामियों का पता लगाने के लिये आयोग गठित करना चाहिए।
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