सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त करने पर भारतीय नागरिकता की स्वचालित समाप्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा [तरुणाभ खेतान बनाम भारत संघ और अन्य]।
जस्टिस एएस बोपन्ना और एमएम सुंदरेश की पीठ ने संवैधानिक विद्वान और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पब्लिक लॉ चेयर तरुणभ खेतान द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया।
खेतान ने अपनी याचिका में नागरिकता अधिनियम, 1955 के प्रावधानों, अर्थात् धारा 9(1), धारा 4(1) का दूसरा प्रावधान और धारा 4(1ए) पर हमला किया है। याचिका में तर्क दिया गया है कि ये प्रावधान किसी अन्य नागरिकता के अधिग्रहण पर भारतीय नागरिकता की अनैच्छिक और स्वचालित समाप्ति का कारण बनते हैं।
वकील सैफ महमूद द्वारा तैयार की गई याचिका में कहा गया है कि "नागरिकता की अनैच्छिक समाप्ति न केवल असंवैधानिक है, बल्कि भारतीय संवैधानिक लोकाचार के मूल्यों के विपरीत है और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।"
खेतान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह और पीसी सेन ने दलील दी कि याचिकाकर्ता दोहरी नागरिकता की सामान्य मान्यता की मांग नहीं कर रहा है।
यह तर्क दिया गया कि नागरिकता की असंगत और अनैच्छिक समाप्ति व्यक्ति को अपने जन्म के देश (जन्मभूमि) और अपने निवास के देश (कर्मभूमि) द्वारा दी जाने वाली सुरक्षा के बीच चयन करने के लिए मजबूर करती है।
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