शीर्ष अदालत ने इस संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय की पुष्टि करते हुये इसके खिलाफ उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र एसोसिएशन की अपील खारिज कर दीं। न्यायालय के इस निर्णय के साथ ही प्रदेश में शिक्षा मित्रों के 37,000 रिक्त पदों पर नियुक्तियों के लिये हुयी परीक्षा के मई, 2020 में घोषित परिणाम के आधार पर भर्तियों का रास्ता साफ हो गया।
हालांकि, न्यायालय ने यह जरूर कहा कि प्रभावित शिक्षा मित्रों को भर्ती के लिये अगली परीक्षा में शामिल होने का एक अवसर और प्रदान किया जायेगा। न्यायालय ने इसका तरीका तय करने का मसला राज्य सरकार पर छोड़ दिया।
न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति मोहन एम शांतानागौडर की पीठ ने वर्ष 2019 में राज्य में 69,000 शिक्षा मित्रों की भर्ती के लिये कट-ऑफ निर्धारित करने के उप्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर यह निर्णय सुनाया।
पीठ ने इस याचिका पर दो दिन विस्तार से सुनवाई के बाद 24 जुलाई को अपना निर्णय सुरक्षित रखा था।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र एसोसिएशन ने उप्र सरकार के 7 जनवरी, 2019 के आदेश को चुनौती दी थी। इस आदेश के तहत ही 2019 में सहायक शिक्षकों की भर्ती की परीक्षा के लिये सामान्य वर्ग और आरक्षित वर्ग के लिये न्यूनतम अंक बढ़ाकर क्रमश: 65 और 60 निर्धारित किये गये थे।
राज्य में प्राइमरी स्कूलों में 69,000 शिक्षकों की भर्ती परीक्षा के लिये न्यूनतम अंक बढ़ाने संबंधी अधिसूचना अगले दिन जारी की गयी थी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के निर्णय की पुष्टि करते हुये राज्य में बेसिक शिक्षा परिषद स्कूलों में सहायक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ कर दिया था।
याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि इस परीक्षा के लिये न्यूनतम अंक क्रमश: 65 और 60 निर्धारित करना मनमाना है और इसे क्रमश: 45 तथा 40 अंक निर्धारित किया जाना चाहिए था।
याचिकाकर्ताओं ने इस तथ्य को इंगित किया कि इससे पहले के वर्ष में आयोजित सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में न्यूनतम अंक 40 से 45 निर्धारित किये गये थे। याचिकाकर्ताओं का यह भी तर्क था कि पहले के सालों में पात्रता के लिये परीक्षा के आयोजन से पहले न्यूनतम अंक निर्धारित किये थे न कि 2019 की तरह परीक्षा के बाद में।
न्यायालय में दलील दी गयी थी कि आनंद यादव प्रकरण के फैसले के अनुसार शिक्षा मित्र सहायक शिक्षकों के पद पर नियुक्ति के लिये लगातार दो अवसरों के हकदार है और अंतिम चयन के समय वे अनुभव को महत्व के भी हकदार है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने कहा था कि शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) से उत्तीण शिक्षा मित्रों का एक अलग वर्ग है।
याचिकाकर्ताओं का अधिवक्ता आरके सिंह और उत्तर प्रदेश सरकार का अतिरिक्त सालिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने प्रतिनिधित्व किया।
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