सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मध्य प्रदेश के कांग्रेस विधायक राजेंद्र भारती के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी। भारती ने मामले की सुनवाई दूसरे राज्य में स्थानांतरित करने की मांग की थी। [राजेंद्र भारती बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य]
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने कहा कि निष्पक्ष सुनवाई का मतलब है कि अभियुक्त को अपना बचाव करने का पूरा अवसर दिया जाए। पीठ ने कहा कि निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है।
"...जब हम यह कहते हैं तो हमें यह दर्ज करना चाहिए कि निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है। निष्पक्ष सुनवाई का मतलब है कि अभियुक्त को कानून के अनुसार अपना बचाव करने का पूरा अवसर दिया जाए।"
भारती का प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि बचाव पक्ष के गवाहों को एक होटल में ले जाया गया और उनके मुवक्किल के खिलाफ गवाही देने के लिए उन पर दबाव डाला गया।
मध्य प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) से न्यायालय ने पूछा कि क्या राज्य ने बचाव पक्ष के गवाहों को कथित रूप से डराने-धमकाने के गंभीर आरोप की कोई जांच की है। एएजी ने रिकॉर्ड पर जांच का कोई सबूत पेश किए बिना आरोपों से इनकार कर दिया।
एएजी के जवाब से असंतुष्ट न्यायमूर्ति ओका ने राज्य के दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए कहा कि वह मामले की गंभीरता को समझने में विफल रहा।
"एएजी के रवैये को देखिए। वह सरल सवालों का जवाब नहीं दे रहा है। वह यह नहीं समझ पा रहा है कि मामले की गंभीरता क्या है...हर दूसरे दिन हम कहते हैं कि अधिवक्ता पहले न्यायालय का अधिकारी है।"
न्यायालय ने राज्य से दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का आग्रह किया। मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।
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Supreme Court stays trial in cheating case against Congress MLA Rajendra Bharti