अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की घटना पर आक्रोष भरी मीडिया कवरेज ने जिम्मेदारी भरी पत्रकारिता और बोलने की आजादी की सीमा के सवाल सुर्खियों में ला दिये हैं
इस मामले में एक ओर बंबई उच्च न्यायालय मीडिया ट्रायल के खिलाफ जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है तो दूसरी ओर बालीवुड के बड़े फिल्म निर्माण प्रतिष्ठानों ने रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में दीवानी मानहानिक का वाद दायर किया है।
प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ने अपने 1069 पेज के इस वाद में दलील दी है कि पूरे बालीवुड के खिलाफ मीडिया चैनलों ने दुष्प्रचार अभियान चला रहा है। इस वाद की प्रति बार एंड बेंच के पास है।
इस वाद के साथ 312 पेज के संलग्नक भी हैं जिनमे सोशल मीडिया का जिक्र करते हुये उन घटनाओं का उल्लेख है जिनमें अमिताभ बच्चन सरीखे अभिनेताओं सहित बालीवुड के फिल्म निर्माण प्रतिष्ठानों का बहिष्कार करने के लिये कहा गया है।
बालीवुड प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन की ओर से लॉ फर्म डीएसके लीगल ने एक बयान में कहा कि यह वाद सिर्फ मीडिया की हस्तियों के खिलाफ नहीं है बल्कि उन अज्ञात प्रतिवादियों के खिलाफ भी है जो इस मामले में पारित होने वाले आदेश का उल्लंघन कर सकते हैं।
इस बयान में कहा गया है, ‘‘यह वाद सिर्फ चैनलों और इसमें नामित प्लेटफार्म्स के खिलाफ आदेश के लिये नहीं है, बल्कि उन अनाम प्रतिवादियों के खिलाफ भी है जिन्हें जॉन देओल, अशोक कुमार बताया गया है। इसका मतलब यह हुआ कि वादियों के पक्ष में पारित कोई भी आदेश सभी टेलीविजन चैनलों और डिजिटल प्लेटफार्म की सामग्री,जो ऐसे आदेश का उल्लंघन करते पाये जा सकते हैं, सब पर लागू होगा। हमारे मुवक्किल को कुछ अन्य के बारे में भी पता चला है जो इस तरह की सामग्री प्रकाशित कर रहे है और उन्हें भी इस वाद में अतिरिक्त प्रतिवादियों के रूप में जोड़ा जायेगा। हमारे मुवक्किल यह भी स्पष्ट करना चाहते हैं कि वे मामलों की जांच संबंधी मीडिया खबरों, जैसा कि इस वाद में स्पष्ट किया गया है, के खिलाफ पूर्ण प्रतिबंध का आदेश नहीं चाहते क्योंकि हमारे मुवक्कलियों को पता चला है कि ऐसा गलत रिपोर्ट हो रहा है।’’
प्रोड्रयसर्स एसोसिएशन द्वारा अपने वाद में उठाये गये मुख्य मुद्दे:
1. प्रतिवादियों ने बालीवुड में काम कर रहे लोगों के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान चला रखा है।
वादियों ने दलील दी है कि मीडिया चैनल उनके खिलाफ झूठे, अपमानजनक और दुर्भावनापूर्ण आरोप प्रकाशित और प्रसारित कर रहे हैं।
इसमें कहा गया है कि प्रतिवादी संख्या 1 से 7 तक खबरें प्रसारित करने की बजाये उनके शब्द, एक्शन और प्रकाशन उस पर केन्द्रित है जिसे वे अपने ‘अथक’ प्रयास बताते हैं और दिन रात, हफ्ते, और महीने दर महीने बालीवुड के आपराधिक कारनामों को ‘बेनकाब’ करने की धमकी के साथ किसी क्राइम थ्रिलर की तरह सस्पेंस पैदा करते हुये बालीवुड की चर्चित हस्तियों की लोकप्रियता के नाम पर अपनी ओर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास करते हैं।
वाद में यह भी कहा गया है कि मीडिया चैनल बालीवुड में सभी को ‘अपराधी, नशे की संस्कृति में डूबे’ होने जैसा पेश कर रहे हैं ओर ऐसा अहसास करने का प्रयास कर रहे हैं कि बालीवुड का हिस्सा होने का मतलब नशा करने वाला है। बालीवुड को एकदम गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।
इसमें तमाम मीडिया खबरों का जिक्र करतेहुये कहा गया है कि ये मानहानिकारक हैं।
2. प्रतिवादियों ने वादियों की व्यक्तिगत सुरक्षा खतरे में डाल दी है
वाद में कहा गया है कि मीडिया चैनल जानबूझ कर बालीवुड से जुड़े व्यक्तियों के खिलाफ आम जनता में गुस्सा और नफरत पैदा कर रहे हैं। यही नहीं, बालीवुड से जुड़े व्यक्तियों को सार्वजिनक स्थानों पर संवाददाताओं द्वारा परेशान भी किया जा रहा है।
वाद में आगे कहा गया है,
‘‘प्रतिवादी 1 से 7 के संवाददाता और अन्य हवाई अड्डे, अपने आवास के बाहर और जांच अधिकारियों के कार्यालयों के बाहर जैसे सार्वजनिक स्थानों पर बालीवुड की हस्तियों को हैरान परेशान किया जा रहा है और संवाददाताओं द्वारा बालीवुड की हस्तियों को एकसाथ घेरने जैसी घटनायें भी हुयी हैं।’’
उदाहरण के लिये रिया चक्रवर्ती के एनसीबी कार्यालय में दाखिल होते समय संवाददाताओं की भीड़ द्वारा उसे घेरे जाने से हुयी परेशानियों का हवाला दिया गया है।
3. आजीविका का नुकसान
वाद में कहा गया है कि मीडिया में हानिकारक तरीके से मिथ्या प्रचारित किये जाने की वजह से आजीविका का नुकसान हो रहा है।
4. प्रतिवादियों का गैर जिम्मेदाराना खबरों का इतिहास है
वाद में यह भी कहा गया है कि पहले भी कई अवसरों पर रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपदाक अर्णब गोस्वामी को "दंडित और प्रताड़ित किया जा चुका है और अदालतों तथा प्राधिकारियों ने उनके खिलाफ आदेश भी पारित किये थे।’’
इसमें यह भी तर्क दिया गया है कि ऐसे आरोपों और गैर जिम्मेराना खबरों के बारे में निष्कर्षो का इतिहास है जिन्हें रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ से जोड़ा जा सकता है।
वाद के अनुसार, ‘‘प्रतिवादी संख्या 5 से 7 ने हाल ही में बालीवुड अभिनेताओं के निजी व्हाटसऐप संदेशों को गैरकानूनी तरीके से हासिल करके प्रतिवादी संख्या 5 टाइम्स नाउ के समाचार चैनल पर सार्वजनिक करके डाटा की निजता के बारे में एक सार्वजनिक बहस छेड़ दी और इस तरह उन कलाकारों के निजता के अधिकारों का हनन करने के आरोपों को निमंत्रण दिया। ’’
5. निजता का उल्लंघन
वाद में यह शिकायत भी उठाई की गयी है कि,
‘‘प्रतिवादियों द्वारा बालीवुड की हस्तियों की जिंदगी से जुड़े निजी तथ्यों को सार्वजनिक दायरे में लाया जा रहा है और व्हाट्सएैप पर हुयी बातचीत सहित निजी वार्तालाप को गैर कानूनी तरीके से हासिल करके प्रकाशित किया जा रहा है। ’’
6. मीडिया की खबरों ने निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार पर प्रतिकूल असर डाला है
वादकारियों ने कहा है कि अदालतों ने बार बार इस तथ्य को स्वीकार किया है कि जांच एजेन्सियां और न्यायाधीश तक जनता की राय से प्रभावित हो सकते हैं।
वादकारियों ने यह दलील भी दी है इस तरह की खबरों के प्रभाव का आकलन इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि जनता में से ही अतिउत्साही लोगों ने प्रतिवादियों के न्यूज कार्यक्रमों को देखकर जानी मानी हस्तियों के खिलाफ बेबुनियाद शिकायतें और बोगस कार्यवाही तक शुरू करा दी क्योंकि वे इन कार्यक्रमों को देखकर इस बात से आश्वस्त थे कि फिल्मी हस्तियां इस उद्योग में बड़े पैमाने पर भाई भतीजावाद को बढ़ावा देने की दोषी हैं और उन्होंने सुशांत सिंह राजपूत जैसे कथित ‘आउअसाइडर’ को बाहर रखा जिसकी वजह से उसने आत्महत्या कर ली।
7. कार्यक्रम संहिता का उल्लंघन
इसमें यह भी कहा गया है कि मीडिया चैनलों ने पत्रकारिता के सिद्धांतो और मानदंडों तथा केबल टेलीविजन नेटवर्कस नियमों के तहत कार्यक्रम संहिता का उल्लंघन किया है।
8. बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी निरंतर दुष्प्रचार को न्यायोचित नहीं ठहराता
इसमें यह भी दलील दी गयी है कि प्रतिवादी फिल्म उद्योग के सदस्यों के खिलाफ निरंतर अपने दुष्प्रचार को न्यायोचित ठहराने के लिये अभिव्यक्ति की आजादी का दावा नहीं कर सकते।
9. सोशल मीडिया पर अपशब्द
इस वाद में फिल्म निर्माताओं और उनके प्रतिष्ठानों ने फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब और गूगल को भी प्रतिवादी बनाते हुय कहा है कि इन प्लेटफार्म पर प्रकाशित मानहानिकारक सामग्री से उनकी छवि को अपूर्णीय नुकसान पहुंचा है।
वाद में कहा गया है कि सोशल मीडिया पर इस तरह के प्रकाशन की वजह वादकारियों और उनके सदस्यों, अंशधारकों, निदेशकों, भागीदारों और मालिकों के बारेमें अपमानजनक टिप्पणियों की बाढ़ आ गयी है।
10. मीडिया पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं चाहते
वादकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि वे सुशांत सिंह राजपूत मामले में या इससे संबंधित मामलों में मीडिया रिपोर्टिंग के खिलाफ पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का आदेश नहीं चाहते हैं
वाद में किये गये अनुरोध में उन लोगों पर स्थाई और अनिवार्य रोक लगाने का अनुरोध भी शामिल है
प्रतिवादियों को बालीवुड से संबद्ध लोगों गे बारे में गैरजिम्मेदाराना, अपमानजनक और मानहानिकारक टिप्पणिां करने या उनका प्रकाशन करने से रोका जाये
प्रतिवादियों को मीडिया ट्रायल करने से रोका जाये
प्रतिवादियों को व्यक्तियों के निजता के अधिकार में हस्तक्षेप करने से रोका जाये
कार्यक्रम संहिता का अनुपालन सुनिश्चित किया जाये।
न्यायालय से यह भी अनुरोध किया गया है कि मीडिया चैनलों द्वारा प्रकाशित सारी मानहानिकारक सामग्री हटाने, अवरूद्ध करने या प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया जाये।
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