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वादकरण

यूपी की अदालत ने पुरुष पर बलात्कार का झूठा आरोप लगाने वाली महिला को दोषी ठहराया; ₹5.9 लाख का जुर्माना लगाया

Bar & Bench

उत्तर प्रदेश के बरेली की एक अदालत ने पिछले हफ्ते एक महिला को 2018 में एक व्यक्ति पर बलात्कार के झूठे आरोप लगाने के लिए दोषी ठहराया [उत्तर प्रदेश राज्य बनाम निशा]।

अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने महिला को 4 साल, 6 महीने और 8 दिन (1,653 दिन) कारावास की सजा सुनाई। यह वही अवधि है जो उस व्यक्ति ने ऐसे झूठे आरोप के कारण जेल में बिताई थी।

अदालत ने महिला पर लगभग ₹5.9 लाख का जुर्माना भी लगाया, जो उस पुरुष को दिया जाएगा जिस पर उसने झूठा आरोप लगाया था। यह भी स्पष्ट कर दिया कि यदि जुर्माना अदा करने में कोई चूक होती है, तो उसे 6 महीने की अतिरिक्त कैद की सजा दी जाएगी।

कोर्ट ने कहा, "यद्यपि महिलाओ की सुरक्षा को तत्सम्बधी नीतियों व विधियों के माध्यम से. शासन, प्रशासन व न्यायालय द्वारा सुनिश्चित किया जाना, सर्वथा उचित य अपेक्षित है. किन्तु इसका यह तात्पर्य नहीं है कि इसका अनुचित लाभ लेने वाली महिलाओं को पुरुषों के हितो पर आघात करने की छूट प्रदान की जाए। इसके अतिरिक्त, सिद्धदोष सदृश महिलाओ के, प्रस्तुत प्रकरण सदृश कृत्य से, समाज की वास्तविक पीडित महिलाओ को ही बति सम्भाव्य है। ऐसी स्थिति में, सिद्धदोष को कठोर दण्ड से दण्डित किया जाना उचित प्रतीत होता है।"

2018 में, अजय कुमार उर्फ ​​राघव नामक व्यक्ति पर अपने सहकर्मी की बहन के अपहरण और बलात्कार का मामला दर्ज किया गया था। महिला, जो उस समय 15 साल की थी, ने पुलिस के साथ-साथ मजिस्ट्रेट को भी बताया कि अजय ने उसके साथ बलात्कार किया था।

हालांकि, जिरह के दौरान लड़की अपने बयान से पलट गई और उसने कहा कि उसने जानबूझकर मजिस्ट्रेट से झूठ बोला और पुष्टि की कि अजय ने उसके साथ कभी छेड़छाड़ या बलात्कार नहीं किया।

इस पर विचार करते हुए, न्यायालय ने दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 195 के तहत महिला के खिलाफ मुकदमा शुरू करना उचित समझा।

अपने विश्लेषण में कोर्ट ने कहा था कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि बलात्कार या अपहरण का कोई अपराध नहीं था। हालाँकि, महिला के झूठे बयान के कारण अजय को इस मामले में झूठा फंसाया गया और वह 4 साल से अधिक समय तक जेल में रहा।

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State_of_UP_V__Nisha.pdf
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UP court convicts woman for falsely accusing man of rape; imposes ₹5.9 lakh fine