शनिवार को राज्य की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने गैर-कानूनी रूपांतरण पर विवादास्पद उत्तर प्रदेश अध्यादेश लागू किया।
अध्यादेश शीर्षक, Uttar Pradesh Prohibition of Unlawful Conversion of Religion Ordinance, 2020 (उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन अध्यादेश, 2020) को पिछले सप्ताह राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी थी।
हालांकि अध्यादेश अंतर-विश्वास विवाहों पर पड़ने वाले निहितार्थों के कारण गहन बहस का विषय रहा है, अध्यादेश न केवल अंतर-विश्वास विवाह बल्कि सभी धार्मिक रूपांतरणों को नियंत्रित करता है।
नीचे अध्यादेश के कुछ प्रमुख प्रावधान दिए गए हैं।
धर्म खंड और प्रलोभन की परिभाषा
'धर्म' का तात्पर्य भारत मे या उसके किसी भाग मे प्रचलित और तत्समय प्रवृत किसी विधि या परंपरा के अधीन यथा परिभाषित पूजा पद्धति, आस्था, विश्वास, उपासना या जीवन शैली की किशि संगठित प्रणाली से है
धर्म परिवर्तन की परिभाषा
[धर्म परिवर्तक ’[धारा 2 (i)] का अर्थ किसी ऐसे धार्मिक व्यक्ति से है जो किसी एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण का कोई भी कार्य करता है और उसे जिस भी नाम से पुकारा जाये यथा पिता, कर्मकांडी, मौलवी या मुल्ला, आदि।
अध्यादेश क्या निषिद्ध करता है?
अध्यादेश के प्रमुख प्रावधानों में से एक धारा 3 है।
कोई व्यक्ति दुव्यपर्देशन, बल, असमयक असर, प्रपीड़न, प्रलोभन के प्रयोग या पद्द्ति द्वारा या अन्य व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अन्यथा रूप से एक धर्म से दूसरे धर्म मे संपरिवर्तन नहीं करेगा/करेगी या संपरिवर्तन करने का प्रयास नहीं करेगा/करेगी और न ही किसी ऐसे व्यक्ति को ऐसे धर्म संपरिवर्तन के लिए उत्प्रेरित करेगा/करेगी, विश्वास दिलाएगा/दिलाएगी या षड्यंत्र करेगा/करेगी परंतु यह की यदि कोई व्यक्ति अपने ठीक पूर्व धर्म मे पुनः संपरिवर्तन करता है/करती है तो उसे इस अध्याधेश के अधीन धर्म संपरिवर्तन नहीं समझा जाएगा
कौन एफआईआर दर्ज कर सकता है?
धारा 4 के अनुसार, कोई भी पीड़ित व्यक्ति, उसके माता-पिता, भाई, बहन, या कोई अन्य व्यक्ति जो उससे संबंधित है / उसके द्वारा रक्त, विवाह, या गोद लेने से ऐसे रूपांतरण की एक प्राथमिकी दर्ज हो सकती है जो धारा 3 के प्रावधानों को उल्लंघन करती है।
सज़ा
धारा 5 में धारा 3 के उल्लंघन के लिए सजा निर्धारित है।
धारा 3 के तहत अपराध का दोषी पाए जाने वाले को 1 से 5 साल की कैद और 15 हजार रुपए तक के जुर्माने की सजा होगी।
हालांकि, नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति के संबंध में धारा 3 का उल्लंघन, 2 से 10 साल के कारावास की सजा को आकर्षित करेगा और 25,000 रुपये तक के जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा।
शादी प्रभाव
अध्यादेश का सबसे विवादित पहलू यह है कि अंतर-विश्वास विवाहों पर इसका प्रभाव पड़ेगा।
धारा 6 में कहा गया है कि विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन के एकमात्र प्रयोजन से किया गया विवाह शून्य घोषित होगा-यदि विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन के एकमात्र प्रयोजन से या विपर्ययेन एक धर्म के पुरुष द्वारा अन्य धर्म की महिला के साथ विवाह के पूर्व या बाद में या तो स्वयं का धर्म संपरिवर्तन करके या विवाह के पूर्व या बाद में महिला का धर्म परिवर्तन करके किया गया विवाह। विवाह के किसी पक्षकार द्वारा दूसरे पक्षकार के विरुद्ध प्रस्तुत की गयी याचिका पर पारिवारिक न्यायालय द्वारा या जहां पारिवारिक न्यायालय स्थापित न हो, वहां ऐसे मामले का विचारण करने की अधिकारिता वाले न्यायालय द्वारा शून्य घोषित कर दिया जाएगा।
रूपांतरण की प्रक्रिया
जैसा कि पहले कहा गया था, अध्यादेश सिर्फ अंतर-विवाह विवाहों को प्रभावित नहीं करता है। जो कोई भी एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित होना चाहता है, उसे अध्यादेश द्वारा निर्धारित प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। प्रक्रिया अध्यादेश की धारा 8 और 9 में व्याख्या की गई है।
पूर्व सूचना
धारा 8 के अनुसार, जो अपने धर्म को परिवर्तित करने की इच्छा रखता है, उसे जिला मजिस्ट्रेट या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा विशेष रूप से अधिकृत अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष अनुसूची में निर्धारित प्रपत्र में एक घोषणा पत्र देना होगा कि वह अपने धर्म को बिना किसी दबाब और किसी भी बल, जबरदस्ती, अनुचित प्रभाव या खरीद के बिना अपनी स्वतंत्र सहमति के साथ बदलना चाहता है।
धर्मपरिवर्तन करने वाले धर्मपरिवर्तनकर्ता को जिला मजिस्ट्रेट या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा उसी के लिए नियुक्त अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को ऐसे रूपांतरण की अनुसूची II में निर्धारित प्रपत्र में एक महीने की अग्रिम सूचना देनी चाहिए।
संपरिवर्तन के बाद घोषणा
धारा 9 संपरिवर्तन के बाद की प्रक्रिया को पूरा करती है।
यह अनिवार्य है कि एक परिवर्तित व्यक्ति को अनुसूची III में निर्धारित प्रपत्र में घोषणा पत्र को उस जिले के जिला मजिस्ट्रेट को रूपांतरण की तारीख के 60 दिनों के भीतर भेजना चाहिए, जहां वह व्यक्ति निवास करता है।
आरोपी पर सबूत का भार
अध्यादेश में एक अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान धारा 12 है।
इस तथ्य के सबूत का भार कि कोई धर्म संपरिवर्तन दुव्यपर्देशन, बल, असमयक असर, प्रपीड़न, प्रलोभन के माध्यम से या किसी कपटपूर्ण साधन द्वारा या विवाह द्वारा प्रभावित नहीं है, उस व्यक्ति पर जिसने धर्म संपरिवर्तन कराया है और जहां ऐसा धर्म संपरिवर्तन किसी व्यक्ति द्वारा सुकर बनाया गया हो वहाँ ऐसे अन्य व्यक्ति पर होगा
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Uttar Pradesh ordinance on Religious Conversion explained [Read Ordinance]