लोकसभा ने सोमवार को अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित कर दिया, जिसमें 1879 के लीगल प्रैक्टिशनर्स एक्ट को निरस्त करने और अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में संशोधन करने की बात कही गई है।
केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने एक अगस्त को राज्यसभा में विधेयक पेश किया था।
यह विधेयक केंद्र सरकार के उन सभी अप्रचलित कानूनों या स्वतंत्रता पूर्व अधिनियमों को निरस्त करने के प्रयास का हिस्सा है, जो अपनी उपयोगिता खो चुके हैं।
यह केवल अधिवक्ता अधिनियम, 1961 द्वारा कानूनी पेशे के विनियमन का प्रस्ताव करता है और अदालतों में दलालों से निपटने वाले प्रावधान को बरकरार रखते हुए कानूनी प्रैक्टिशनर्स अधिनियम, 1879 को निरस्त करता है।
इसके अलावा, यह अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में कानूनी प्रैक्टिशनर्स अधिनियम, 1879 की धारा 36 (अदालतों में दलालों की सूची तैयार करने और प्रकाशित करने की शक्ति) के प्रावधानों को शामिल करता है ताकि क़ानून की किताबों पर "अनावश्यक अधिनियमों" की संख्या को कम किया जा सके।
और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें