मद्रास उच्च न्यायालय ने बुधवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कमल के फूल के प्रतीक के आवंटन को रद्द करने के लिए भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को निर्देश देने की मांग की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति डी भरत चक्रवर्ती की पीठ ने तमिलनाडु स्थित अहिंसा सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक टी रमेश द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया।
रमेश ने अपनी याचिका में दावा किया कि कमल का फूल भारत का राष्ट्रीय फूल है, इसलिए इसका चुनाव चिह्न किसी राजनीतिक दल को आवंटित नहीं किया जा सकता और इस तरह का आवंटन राष्ट्रीय अखंडता का अपमान है।
8 दिसंबर, 2023 को उन्होंने तर्क दिया था कि कमल का प्रतीक धार्मिक होने के साथ-साथ राष्ट्रीय प्रतीक भी है। इसलिए, इसे भाजपा को आवंटित करके, भारत के चुनाव आयोग ने अपने ही नियमों का उल्लंघन किया था।
जब प्रधान न्यायाधीश ने रमेश से पूछा कि भाजपा को इस तरह का चुनाव चिन्ह आवंटित किए जाने से वह कैसे व्यथित हैं, तो उन्होंने कहा कि अन्य पार्टियों के साथ भेदभाव किया गया है और उनके साथ घोर अन्याय किया जा रहा है।
तदनुसार, अदालत ने उन्हें मामले में अपनी प्रामाणिकता साबित करने के लिए 20,000 रुपये जमा करने का निर्देश दिया था।
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Madras High Court dismisses plea challenging BJP use of lotus as party symbol