मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु के मंत्री आई पेरियासामी के खिलाफ अवैध भूमि आवंटन मामले को बंद करने के विशेष अदालत के आदेश को सोमवार को रद्द कर दिया।
न्यायमूर्ति आनंद वेंकटेश ने पेरियासामी को मामले में मुकदमे का सामना करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति वेंकटेश ने द्रमुक के नेतृत्व वाली सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री पेरियासामी को पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) को तमिलनाडु हाउसिंग बोर्ड (टीएनएचबी) की जमीन के कथित अनियमित आवंटन के मामले में पेरियासामी को आरोपमुक्त करने के खिलाफ स्वत : संज्ञान लेते हुए एक पुनरीक्षण मामले पर फैसला सुनाया।
सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी) ने 2011 में अन्नाद्रमुक के सत्ता में आने के बाद पेरियासामी के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
पेरियासामी के खिलाफ डीवीएसी का मामला चेन्नई में करुणानिधि के पीएसओ गणेशन को उच्च आय वर्ग की एक जमीन के आवंटन से संबंधित है, जब पेरियासामी मार्च 2008 में द्रमुक शासन के दौरान आवास मंत्री थे।
जबकि तत्कालीन विधान सभा अध्यक्ष ने 2012 में पेरियासामी के अभियोजन के लिए मंजूरी दी थी, मंत्री ने 2016 में एक डिस्चार्ज याचिका दायर की थी जिसमें दावा किया गया था कि इस तरह की मंजूरी राज्यपाल द्वारा दी जानी चाहिए थी, न कि स्पीकर द्वारा।
इसके बाद जुलाई 2016 में एक विशेष अदालत ने आरोपमुक्त करने की अर्जी खारिज कर दी। इस आदेश की पुष्टि उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ने क्रमशः नवंबर और दिसंबर 2022 में की थी।
हालांकि, पेरियासामी ने 21 फरवरी, 2023 को विशेष अदालत के समक्ष एक और डिस्चार्ज याचिका दायर की, इस आधार पर कि मंजूरी अमान्य थी। इस बार, विशेष अदालत ने मंत्री के तर्क को स्वीकार कर लिया और 17 मार्च, 2023 को पेरियासामी को मामले से बरी करने का आदेश पारित किया। इस आदेश को अब हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है।
उच्च न्यायालय में पेरियासामी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार पेश हुए। डीवीएसी के लिए एडवोकेट जनरल पीएस रमन पेश हुए।
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