घरेलू हिंसा और क्रूरता के एक मामले में पति और पत्नी द्वारा कई शिकायतें और क्रॉस शिकायतें शामिल हैं, जिसने बॉम्बे हाईकोर्ट को इस बात पर नाराजगी जताते हुए टिप्पणी की कि कैसे दोनों ने एक-दूसरे के लिए अपना जीवन नरक बना दिया है और यह कि विवाह हमेशा स्वर्ग नहीं होते हैं । [शिवेक रमेश धर बनाम महाराष्ट्र राज्य]।
एकल-न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसवी कोतवाल ने पति को अग्रिम जमानत देते हुए, जिस पर उसकी पत्नी द्वारा क्रूरता और दहेज की मांग का आरोप लगाया गया था, ने देखा कि उनके बीच लगातार झगड़े होते थे।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “एफआईआर से पता चलता है कि कैसे आवेदक (पति) और मुखबिर (पत्नी) एक साथ नहीं रह सकते। उनके बीच लगातार झगड़े थे।”
मामले की सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से टिप्पणी की गई कि "शादी स्वर्ग में नहीं होती, वे नरक में बनती हैं"।
दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद अदालत इस नतीजे पर पहुंची कि पति की हिरासत से मामला सुलझने वाला नहीं है।
न्यायमूर्ति कोतवाल ने आदेश में जोर दिया, “जांच के उद्देश्य से भी उससे हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है। उसे जांच एजेंसी के साथ सहयोग करने के लिए कहा जा सकता है। आरोप और जवाबी आरोप हैं, जो केवल मुकदमे के दौरान तय किए जा सकते हैं।”
उन्होंने पुलिस को निर्देश दिया कि गिरफ्तारी की स्थिति में पति को एक या एक से अधिक जमानतदारों के साथ ₹30,000 के जमानत मुचलके पर जमानत पर रिहा किया जाए।
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