Surrogacy
Surrogacy  
समाचार

हम विज्ञान के साथ हस्तक्षेप नहीं करने जा रहे हैं: सरोगेसी के लिए आयु सीमा को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय

Bar & Bench

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के तहत सरोगेसी प्रक्रियाओं से गुजरने के लिए दंपतियों के लिए निर्धारित आयु सीमा को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को कहा कि विज्ञान की सीमाएं हैं, जिन्हें एक सीमा से आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि क्या यह इन आयु सीमाओं के साथ छेड़छाड़ कर सकती है क्योंकि ये वैज्ञानिक सलाह के आधार पर विधायिका द्वारा निर्धारित की गई हैं।

फिर भी कोर्ट ने याचिका में नोटिस जारी कर केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है।

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए नौ मई की तारीख तय की जब संबंधित मामलों की सुनवाई होगी।

अदालत सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 की धारा 4(iii)c(I) को चुनौती देने वाली एक दंपति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

धारा 4 (iii) सी (आई) में प्रावधान है कि सरोगेसी के लिए जाने के इच्छुक जोड़े को विवाहित होना चाहिए और महिला की आयु 23 से 50 वर्ष के बीच होनी चाहिए, जबकि पुरुष की आयु प्रमाणन के दिन 26 से 55 वर्ष की होनी चाहिए।

याचिकाकर्ताओं ने प्रस्तुत किया है कि वे जल्द ही अधिनियम में निर्धारित ऊपरी आयु सीमा को पार कर जाएंगे, जो उन्हें बच्चा पैदा करने के अवसर से वंचित करेगा।

याचिकाकर्ता दंपति ने आगे तर्क दिया है कि सरोगेसी अधिनियम द्वारा निर्धारित ऊपरी आयु सीमा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है, क्योंकि यह एक अनुचित और मनमाना प्रतिबंध लगाता है।

उन्होंने चिकित्सा संकेत के प्रमाण पत्र के लिए उनके आवेदन को खारिज करने वाले राज्य स्तरीय मेडिकल बोर्ड द्वारा पारित आदेश को भी चुनौती दी।

याचिका अधिवक्ता रंजन कुमार और रतन कुमार शुक्ला के माध्यम से दायर की गई है। 

और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें


We are not going to meddle with science: Delhi High Court on plea challenging age limit to undergo surrogacy