सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को श्रीनगर के एक परिवार को अंतरिम संरक्षण प्रदान किया, जो 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकवादी हमले के मद्देनजर भारत से पाकिस्तान निर्वासित किये जाने के खतरे का सामना कर रहा था।
उल्लेखनीय है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था और भारत सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा सेवाएं निलंबित करने का फैसला किया था। सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 27 अप्रैल तक भारत छोड़ने का निर्देश दिया गया था।
हालांकि, शीर्ष अदालत के समक्ष परिवार ने आरोप लगाया कि उन्हें भारतीय नागरिक होने के बावजूद गिरफ्तार किया गया, जिनके पास आधार कार्ड, पैन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र सहित सरकारी पहचान पत्र थे। परिवार में एक विवाहित जोड़ा और उनके चार बच्चे शामिल थे।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एनके सिंह की पीठ ने आज सरकार से कहा कि उन्हें अपने दावे साबित करने का मौका दिए बिना पाकिस्तान वापस न भेजा जाए। सरकार से इस पहलू पर जल्द से जल्द निर्णय लेने को कहा गया।
न्यायालय ने कहा कि यदि भारत सरकार इस सत्यापन प्रक्रिया के बाद उन्हें निर्वासित करने का निर्णय लेती है, तो परिवार राहत के लिए जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।
न्यायालय ने कहा, "यदि याचिकाकर्ता अंतिम निर्णय से असंतुष्ट है, तो वह जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर कर सकता है।"
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि इस निर्णय को मिसाल के रूप में नहीं माना जाना चाहिए।
आदेश में कहा गया है, "इस आदेश को मिसाल के रूप में नहीं माना जाना चाहिए, क्योंकि यह इस मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों के कारण है।"
अधिवक्ता नंद किशोर ने आज शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता-परिवार का प्रतिनिधित्व किया और बताया कि याचिकाकर्ताओं में से एक बैंगलोर में काम करता था, जबकि बाकी श्रीनगर में रहते थे।
अदालत को बताया गया परिवार के एक सदस्य की जड़ें पाकिस्तानी थीं क्योंकि वह वहीं पैदा हुआ था, लेकिन उसने बहुत पहले ही अपना पाकिस्तानी पासपोर्ट सरेंडर कर दिया था।
वकील किशोर ने कहा, "हम सभी के पास वैध पासपोर्ट हैं। आधार, मतदाता पहचान पत्र, पैन कार्ड जारी किए गए हैं।"
अंततः पीठ ने कहा कि इस मामले में कई तथ्यात्मक पहलू हैं, जिनकी जांच करने की स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय नहीं है।
न्यायमूर्ति कांत ने पूछा, "उच्च न्यायालय के समक्ष क्यों नहीं जाया जाए। एकमात्र प्राधिकारी जो सही तथ्यों का पता लगा सकता है। सभी मुद्दे वहीं उठते हैं। उच्च न्यायालय ने कुछ लोगों को कुछ राहत भी दी है। उच्च न्यायालय क्यों नहीं जाया जाए?"
केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बेहतर होगा कि वे उचित सरकारी प्राधिकारियों से संपर्क करें।
याचिकाकर्ता के वकील ने जवाब दिया, "लेकिन पूरे परिवार को गिरफ्तार कर लिया गया।"
वकील ने दोहराया कि याचिकाकर्ता भारतीय नागरिक हैं।
अंततः न्यायालय ने भारतीय सरकार से परिवार के दावों की पुष्टि करने के लिए कहकर मामले को बंद कर दिया। न्यायालय ने कहा कि तब तक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई भी बलपूर्वक कार्रवाई (जिसमें निर्वासन भी शामिल है) नहीं की जानी चाहिए।
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Pahalgam aftermath: Supreme Court grants interim relief to family facing deportation to Pakistan