इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के भाषा विज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. माद्री काकोटी (जिन्हें व्यंग्यकार डॉ. मेडुसा के नाम से जाना जाता है) को पहलगाम आतंकवादी हमले के संबंध में उनके कथित सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर अंतरिम अग्रिम जमानत दे दी।
काकोटी पर भारतीय न्याय संहिता के तहत कई अपराधों के लिए मामला दर्ज किया गया है, जिसमें भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने से संबंधित आरोप शामिल हैं।
न्यायमूर्ति राजीव सिंह ने काकोटी को अंतरिम राहत दी।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्य और छात्र जतिन शुक्ला की शिकायत के आधार पर काकोटी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
एफआईआर के अनुसार, उन पर अपने ट्विटर पोस्ट के माध्यम से भारत की अखंडता और संप्रभुता को बार-बार निशाना बनाने का आरोप लगाया गया है।
एफआईआर में कहा गया है कि काकोटी के पोस्ट, जिनमें कथित तौर पर भगवा-आतंकवादी जैसे आपत्तिजनक और भड़काऊ शब्द शामिल थे, पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट्स द्वारा भी प्रसारित किए गए हैं।
शिकायत में आगे आरोप लगाया गया है कि उनके पोस्ट सार्वजनिक शांति और कानून व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करते हैं, और यहां तक कि सुझाव दिया गया है कि वह देश में दंगे भड़काना चाहती थीं।
काकोटी के लिए वकील सैयद मोहम्मद हैदर रिजवी पेश हुए।
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