औरंगाबाद शहर का नाम संभाजी नगर करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की गई है। [मुस्तक अहमद और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य]।
तीन व्यक्तियों, मोहम्मद अहमद, अन्नासाहेब खंडारे और राजेश मोरे द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने वर्ष 2001 में औरंगाबाद का नाम बदलने के अपने प्रयास को रद्द कर दिया था।
हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए कथित तौर पर अनधिकृत तरीके से अपने पिछले मंत्रिमंडल में इस मुद्दे को उठाया था।
16 जुलाई, 2022 को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार द्वारा नाम परिवर्तन की फिर से पुष्टि की गई थी।
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि यह निर्णय संविधान के प्रावधानों की पूर्ण अवहेलना है।
जूडिकेयर लॉ एसोसिएट्स के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि उन्हें प्रेस रिपोर्टों के माध्यम से नाम बदलने के सरकार के फैसले के बारे में पता चला।
याचिकाकर्ताओं ने अपने वकीलों के माध्यम से दस्तावेजों की प्रतियां मांगी लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला।
मुंबई में बॉम्बे हाईकोर्ट की प्रिंसिपल बेंच के समक्ष याचिका दायर की गई थी क्योंकि कार्रवाई का प्रमुख कारण मुंबई के भीतर उत्पन्न हुआ था।
याचिका पर हाईकोर्ट 1 अगस्त 2022 को सुनवाई करेगा।
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