कर्नाटक उच्च न्यायालय की धारवाड़ खंडपीठ ने हाल ही में अपनी 14 वर्षीय बेटी के यौन उत्पीड़न के आरोपी एक व्यक्ति को दोषी ठहराया। [कर्नाटक राज्य बनाम आसिफ रसूलसाब सनदी]
न्यायमूर्ति एचटी नरेंद्र प्रसाद और न्यायमूर्ति राजेंद्र बादामीकर की खंडपीठ ने एक विशेष अदालत की बरी को पलट दिया और आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(1) के तहत बलात्कार के अपराधों के लिए 10 साल के कठोर कारावास और ₹50,000 के जुर्माने की सजा सुनाई और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO) की धारा 6 के तहत गंभीर भेदन यौन उत्पीड़न की सजा सुनाई।
हाई कोर्ट ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए कहा, "अदालत इस तरह के अमानवीय कृत्य से नन्हे-मुन्नों को हुए आघात को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती। ऐसे मामलों में अदालतों को बहुत संवेदनशील होना चाहिए, जब पीड़ित के साक्ष्य सुसंगत और विश्वसनीय हों। ऐसी परिस्थितियों में विचारण न्यायालय का सम्पूर्ण दृष्टिकोण त्रुटिपूर्ण, विकृत, मितव्ययी है तथा प्रारम्भिक चरण से ही विचारण न्यायालय ने पीड़िता के विरूद्ध पक्षपातपूर्ण विचार से कार्यवाही की है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।"
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[POCSO] Karnataka High Court orders 10 year jail for father who raped his 14-year-old daughter