Delhi Riots and Delhi Police  
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश के मामले में तस्लीम अहमद को जमानत देने से इनकार किया

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने यह आदेश पारित किया।

Bar & Bench

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को फरवरी 2020 के उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों के संबंध में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम मामले में आरोपी तस्लीम अहमद को जमानत देने से इनकार कर दिया [तस्लीम अहमद बनाम दिल्ली एनसीटी राज्य सरकार]।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने यह आदेश पारित किया।

Justice Subramonium Prasad and Justice Harish Vaidyanathan Shankar

गौरतलब है कि न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शलिंदर कौर की एक अलग पीठ सह-आरोपी उमर खालिद, शरजील इमाम, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, शादाब अहमद, अब्दुल खालिद सैफी और गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी।

अहमद के वकील के अनुरोध पर उनके मामले को अन्य मामलों से अलग कर दिया गया।

अहमद का कहना था कि वह केवल नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) विरोधी प्रदर्शनकारी थे, लेकिन उन्हें 24 जून, 2020 को आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने मुकदमे में देरी और पहले ही बिताई जा चुकी हिरासत अवधि का हवाला देते हुए अदालत से जमानत पर रिहा करने का आग्रह किया।

अहमद की ओर से पेश हुए अधिवक्ता महमूद प्राचा ने तर्क दिया कि निचली अदालत अभी भी दलीलें सुन रही है और उनके मुवक्किल को सह-आरोपी नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तन्हा के समान जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।

हालाँकि, विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अमित प्रसाद ने दलीलों का विरोध किया और कहा कि मुकदमे में देरी अभियोजन पक्ष की वजह से नहीं, बल्कि अभियुक्तों की वजह से हो रही है। प्रसाद ने कहा कि अहमद दिल्ली दंगों के पीछे की व्यापक साजिश का हिस्सा था।

Special Public Prosecutor Amit Prasad and Advocate Mehmood Pracha

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Delhi High Court denies bail to Tasleem Ahmed in 2020 Delhi riots conspiracy case