पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक ऐसे आदमी को ज़मानत दे दी है जिसे पांच साल पहले गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत 2020 में एक सरकारी बिल्डिंग पर 'खालिस्तानी' झंडा फहराने में मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था [जगविंदर सिंह @ जग्गा बनाम नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी]
जस्टिस दीपक सिबल और जस्टिस लपिता बनर्जी की बेंच ने कहा कि आरोपी जगविंदर सिंह के खिलाफ कोई भी गुनाह साबित करने वाला सबूत नहीं मिला है। कोर्ट ने यह भी कहा कि वह 5 साल से ज़्यादा समय से हिरासत में है और ट्रायल खत्म होने का कोई आसार नज़र नहीं आ रहा है।
कोर्ट ने कहा, "अपील करने वाले पर आरोप था कि उसने गुरपतवंत सिंह पन्नू का वीडियो देखा था और अपने चचेरे भाई इंदरजीत सिंह [मुख्य आरोपी] को 'खालिस्तान' नाम का अलग राज्य बनाने में सपोर्ट करने के लिए उकसाया था और D.C. ऑफिस की ऊपरी मंज़िल पर 'खालिस्तान' का झंडा फहराने में मदद की थी। अपराध होने से एक दिन पहले की एक फोन कॉल के अलावा... अपील करने वाले को A-1 [इंदरजीत सिंह] से जोड़ने के लिए रिकॉर्ड पर और कुछ नहीं लाया गया है।"
इसमें यह भी कहा गया कि आरोपी-अपीलकर्ता द्वारा युवाओं के रेडिकलाइज़ेशन और ब्रेनवॉश करने की बात को साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत पेश नहीं किया गया। इसके अलावा, यह भी नोट किया गया कि उसके पास से उसके मोबाइल फोन के अलावा कुछ भी बरामद नहीं हुआ।
कोर्ट ने कहा, "इस मामले में, इस स्टेज पर प्रॉसिक्यूशन द्वारा मन मिलने/आपराधिक साज़िश दिखाने वाला कोई भी ज़रूरी सबूत रिकॉर्ड पर नहीं लाया गया है।"
अगस्त 2020 में, दो लोग मोगा में डिप्टी कमिश्नर के ऑफिस के एडमिनिस्ट्रेटिव कॉम्प्लेक्स में घुसे। आरोप है कि वे टॉप फ्लोर पर गए और वहां पहले से लगे एक लोहे के खंभे पर 'खालिस्तान' लिखा हुआ एक केसरिया/पीले रंग का झंडा फहराया। यह भी आरोप था कि इन आरोपियों ने ग्राउंड फ्लोर पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की रस्सी काटकर उसे नीचे उतार दिया था।
शुरुआत में पंजाब पुलिस ने इंडियन पीनल कोड, UAPA और अन्य स्पेशल कानूनों के तहत मामला दर्ज किया था। बाद में जांच नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने अपने हाथ में ले ली।
जांच में कथित तौर पर पता चला कि यह अपराध बैन संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) के कहने पर किया गया था, जिसका नेतृत्व गुरपतवंत सिंह पन्नू करते हैं।
अपीलकर्ता-आरोपी जगविंदर को सोशल मीडिया पर SFJ का समर्थन करने और अपने चचेरे भाई इंदरजीत सिंह सहित युवाओं को रेडिकलाइज़ करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इंदरजीत सिंह कथित तौर पर उन लोगों में से एक था जिसने मोगा में सरकारी बिल्डिंग पर खालिस्तान का झंडा फहराया था।
ट्रायल कोर्ट ने जून 2024 में जगविंदर की ज़मानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद हाई कोर्ट में यह अपील दायर की गई।
जगविंदर के वकील ने कहा कि इंदरजीत सिंह के बयान के अलावा उसके खिलाफ कोई भी आपत्तिजनक सबूत नहीं है। यह भी कहा गया कि पिछले पांच सालों में 149 गवाहों में से केवल 20 की ही जांच की गई है। हालांकि, NIA के स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने कहा कि जगविंदर के पास से पन्नू का एक वीडियो बरामद हुआ है। यह भी आरोप लगाया गया कि जगविंदर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल था।
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