"किसान आंदोलन की आड़ में सड़कों पर बैठे लोगों को हटाने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष एक जनहित याचिका (PIL) प्रस्तुत की गई है। (धनंजय जैन बनाम यूओआई)।
याचिकाकर्ता, धनंजय जैन ने दावा किया है कि गणतंत्र दिवस पर लाल किले सहित दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में अभूतपूर्व घटनाक्रम से वह स्तब्ध रह गए थे।
दिल्ली की सीमा पर कई दिनों से आंदोलन चल रहे हैं, लगभग दो महीने शुरू या लगभग 26.11.2020 से यह आंदोलन चल रहे हैं। किसान आंदोलन ने बहुत उग्र और हिंसक रूप ले लिया और किसान दिल्ली के अंदरूनी हिस्सों में हथियारों, हॉकी स्टिक्स, तलवारों और अन्य हमले के हथियारों से लैस होकर पहुंचे और गणतंत्र को ध्वस्त करने के अलावा दिल्ली शहर की शांति और कानून व्यवस्था और शांति को परेशान किया।
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि एक आंदोलन को संविधान की लोकतांत्रिक और सभ्य शर्तों पर होना चाहिए और किसी भी परिस्थिति में, हिंसक नहीं हो सकता है।
याचिकाकर्ता इसे पूरी तरह से शर्म की बात कहते हैं कि दिल्ली पुलिस को पूरी तरह से असहाय अवस्था में देखा गया क्योंकि इसका प्रदर्शनकारियों द्वारा पीछा किया गया, धमकी दी गई और पिटाई की गई।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि पुलिस आयुक्त, दिल्ली ने खुद को पूरी तरह से अक्षम दिखाया है और इसलिए, प्रार्थना की है कि लोगों और स्मारकों के जीवन की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय राजधानी में पर्याप्त अर्धसैनिक बलों को तैनात किया जाए।
यह भी कहा गया है कि वर्तमान पुलिस आयुक्त, दिल्ली को उनके पद से हटा दिया जाए और जो भी पुलिस अधिकारी अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहे हैं, उन्हें दंडित किया जाए।
याचिका अधिवक्ता भूप सिंह के माध्यम से दायर की गई है।
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