केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को कहा कि अगर कार्यपालिका और न्यायपालिका मिलकर इसे हासिल करने की दिशा में काम करती हैं तो भारत भी सिंगापुर की तरह एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र बन सकता है।
कानून मंत्री ने कहा कि इसके लिए समान नियमों के साथ-साथ न्यायपालिका और कार्यपालिका दोनों के समर्थन की आवश्यकता होगी।
उन्होंने कहा "मजबूत मध्यस्थता को कार्यपालिका और न्यायपालिका का समर्थन करना होगा।"
उन्होंने इस संबंध में सिंगापुर की सफलता की कहानी का भी हवाला दिया।
उन्होंने कहा, "दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र में मध्यस्थता के लिए 6,373 मामले सूचीबद्ध हैं, और 2022 में 4,900 मामलों की सुनवाई हुई। हमें इस अवसर को जब्त करना होगा। मुझे लगता है कि सिंगापुर की सफलता की कहानी को याद करना जरूरी है। आज दुनिया के किसी भी हिस्से से कोई भी दिल्ली पहुंच सकता है। मुझे नहीं लगता कि कोई भारत को भौगोलिक रूप से दूर पाता है। अगर सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र बन सकता है तो भारत क्यों नहीं भारत को भारतीयों के अलावा कोई नहीं रोक सकता।"
कानून मंत्री दिल्ली इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर द्वारा आयोजित दिल्ली आर्बिट्रेशन वीकेंड (DAW) में बोल रहे हैं।
रिजिजू ने कहा कि उन्होंने अपनी आधिकारिक क्षमता में यह आकलन करने की कोशिश की है कि देश में तदर्थ मध्यस्थता को क्यों प्राथमिकता दी जाती है।
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