सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के पूर्व प्रेसिडेंट और सीनियर एडवोकेट आदिश अग्रवाला ने अपने WhatsApp अकाउंट के सस्पेंड होने को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
अग्रवाला ने कहा है कि उनके अकाउंट को "मनमाने ढंग से और एकतरफ़ा" सस्पेंड करने की वजह से उनकी पर्सनल जानकारी का एक्सेस नहीं मिल पाया है।
उन्होंने तर्क दिया है कि उनका अकाउंट बिना किसी नोटिस के सस्पेंड कर दिया गया, जिससे उन्हें "अपना पर्सनल और प्रोफेशनल डेटा, जिसमें लीगल ड्राफ्ट, वकीलों के ब्रीफिंग नोट्स, कम्युनिकेशन, बार काउंसिल इलेक्शन और बार एसोसिएशन का मटीरियल वगैरह शामिल है, उसे वापस पाने का मौका नहीं मिला।"
उन्होंने तर्क दिया है, "रिस्पॉन्डेंट नंबर 3 [WhatsApp] की मनमानी कार्रवाई, खासकर बैंकॉक, लंदन, दुबई वगैरह में अलग-अलग इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस और भारत में फंक्शन के ज़रूरी समय के दौरान, पिटीशनर के अधिकारों और प्रोफेशनल ड्यूटी, प्रचार की कोशिशों और इलेक्शन प्रोसेस में फेयर हिस्सेदारी में बहुत रुकावट आई है।"
अग्रवाल की याचिका के मुताबिक, WhatsApp का ऐसा बर्ताव भारत के संविधान के आर्टिकल 14, 19(1)(a), 19(1)(g), और 21 के तहत उनके अधिकारों का उल्लंघन करता है।
यह याचिका एडवोकेट गीता रानी के ज़रिए दायर की गई है।
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Senior Advocate Adish Aggarwala moves Delhi High Court against suspension of his WhatsApp account