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अलगाववादी नईम खान ने तिहाड़ में फोन कॉल और ई-मुलाकात सुविधा बहाल करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया

न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने सोमवार को खान और एनआईए की दलीलें सुनीं और याचिका पर एनआईए और तिहाड़ जेल अधिकारियों से जवाब मांगा।

Bar & Bench

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कश्मीरी अलगाववादी नेता नईम अहमद खान द्वारा दायर याचिका पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और तिहाड़ जेल अधिकारियों को नोटिस जारी किया। नईम अहमद खान ने तिहाड़ जेल में कैदी फोन कॉल प्रणाली (आईपीसीएस) सुविधा और ई-मुलाकात सुविधा वापस लेने संबंधी परिपत्रों को चुनौती दी है।

खान को 2017 में एनआईए ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के तहत अपराधों के लिए गिरफ्तार किया था। वह वर्तमान में तिहाड़ जेल में विचाराधीन कैदी के रूप में न्यायिक हिरासत में है।

न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने सोमवार को खान और एनआईए की दलीलें सुनीं और याचिका पर एनआईए और तिहाड़ जेल अधिकारियों से जवाब मांगा।

कोर्ट ने कहा, "मैं नोटिस जारी करूंगा, आप भी निर्देश लें। मैं नियमों की जांच करूंगा, मुझे यकीन है कि एनआईए व्यावहारिक रुख अपनाएगी।"

मामले की सुनवाई 18 मार्च को होगी।

Justice Sachin Datta

खान ने तिहाड़ जेल द्वारा जारी चार परिपत्रों को रद्द करने के निर्देश देने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया, क्योंकि ये दिल्ली जेल अधिनियम की धारा 49, दिल्ली जेल नियमों के नियम 629 से 633 और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के विपरीत हैं।

उन्होंने प्रार्थना की कि उन्हें अस्वीकृत कैदी फोन कॉल सिस्टम और ई-मुलाकात सुविधाओं को बहाल करने के निर्देश जारी किए जाएं।

यह याचिका राष्ट्रीय जांच एजेंसी, दिल्ली के विधि, न्याय और विधायी मामलों के विभाग, महानिदेशक कारागार, उप महानिरीक्षक और तिहाड़ जेल के अधीक्षक के खिलाफ दायर की गई थी।

खान के वकील ने अदालत को बताया कि परिपत्रों में जेल में कॉल और ई-मुलाकात सुविधा का लाभ उठाने के लिए एनआईए से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) अनिवार्य किया गया है।

खान ने याचिका में कहा कि जब वह करीब 6 साल तक तिहाड़ जेल की सेंट्रल जेल नंबर 8/9 में बंद था, तो उसे आईपीसीएस और ई-मुलाकात की सुविधा का लाभ उठाने की अनुमति दी गई थी।

यह बताया गया कि एनआईए द्वारा एनओसी देने से इनकार करने के बाद 2023 के अंत में जब उसे सेंट्रल जेल नंबर 3 में स्थानांतरित किया गया, तो ये सुविधाएं वापस ले ली गईं।

यह भी कहा गया कि खान एक आदर्श कैदी है और उसका जेल में अच्छा आचरण है और वह कभी भी किसी सह-कैदी पर हमला करने की किसी घटना में शामिल नहीं रहा है।

न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, "यह स्पष्ट है कि 2023 तक एनओसी थी, इसलिए जेल अधिकारियों ने इसकी अनुमति दी।"

एनआईए के विशेष लोक अभियोजक अक्षय मलिक ने कहा,

"मैं समझता हूं कि इससे पहले जेल अधिकारियों ने एनओसी नहीं मांगी थी।"

एनआईए की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा पेश हुए और कहा कि याचिका में जिन परिपत्रों को चुनौती दी जा रही है, वे तिहाड़ जेल द्वारा जारी किए गए हैं और इसलिए स्पष्टता के लिए उन्हें नोटिस जारी किया जा सकता है।

लूथरा ने कहा, "मुझे बताया गया है कि उस समय यह चल रहा था। कुछ बदलाव हुआ है, जिसे जेल अधिकारी स्पष्ट करेंगे।"

Senior Advocate Siddharth Luthra

अदालत ने अंततः एनआईए और तिहाड़ जेल अधिकारियों से जवाब मांगा और मामले को 18 मार्च को विचार के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

खान का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता तारा नरूला, तमन्ना पंकज और अनिरुद्ध रामनाथन ने किया।

एनआईए का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और विशेष लोक अभियोजक अक्षय मलिक ने किया।

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